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सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन पहले सुनाया फैसला, दूसरे दिन अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग पर फिर आमने- सामने आए उपराज्यपाल और केजरीवाल

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच तनातनी बनी हुई है।

Updated on: 05 Jul 2018, 06:29 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी अफसरों के तबादले और नियुक्ति को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच तनातनी बनी हुई है।

अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर अरविंद केजरीवाल सरकार के जारी किए गए आदेश को सेवा विभाग ने अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते हुए मानने से इनकार कर दिया।

सर्विसेज डिपार्टेमेंट के अधिकारियों ने कहा कि ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकारी सिर्फ दिल्ली के उपराज्यपाल के पास है इसलिए हम केजरीवाल सरकार के आदेश को नहीं मानेंगे।

वहीं इस मामले को लेकर दिल्ली सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से साफ है कि पुलिस, लॉ एंड आर्डर और जमीन के मामले को छोड़कर चुनी हुई सरकार सभी मामलों में फैसले लेने का अधिकार है।

वहीं इस ताजा विवाद को लेकर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा अगर अफसर सरकार का फैसला नहीं मानेंगे तो देश में अफरा तफरी मच जाएगी। अफसर नहीं सुनेंगे तो लोकतंत्र कैसे चलेगा।

उन्होंने कहा, 'मुख्य सचिव ने मुझे पत्र लिखकर बताया कि सेवा विभाग के अधिकारी आदेश का पालन नहीं करेंगे। अफसर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना कर रहे हैं। फिलहाल हम इस मामले में कानूनी जानकारों की राय ले रहे हैं और एमें एलजी और केंद्र से सहयोग की जरूरत है।

वहीं सेवा विभाग ने आदेश नहीं मानने को लेकर कहा है कि आदेश के पालन से इनकार इसलिए कर दिया गया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के 2016 में जारी अधिसूचना में ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार गृह मंत्रालय को दिया गया है जिसे अभी हटाया नहीं गया है।

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इस ताजा विवाद के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से मिलने का समय मांगा है। केजरीवाल ने कहा कि वो एलजी से मिलकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करवाने में उनसे समर्थन मांगेंगे।

गौरतलब है कि बुधवार को दिल्ली सरकार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुनाए जाने के बाद डिप्टी सीएम सिसोदिया ने कहा था कि अब अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास है।

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि पुलिस, लॉ एंड ऑर्डर और जमीन को छोड़कर उपराज्यपाल चुनी हुई सरकार की सलाह मानने को बाध्य हैं और वह इसमें किसी भी तरह का बाधा नहीं डाल सकते।

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