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सुपरफास्ट ट्रेन में चार्ज के नाम पर वसूला गया 11 करोड़, लेकिन 95 फीसदी समय होती है लेट: सीएजी

नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में भारतीय रेलवे को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जिससे रेलवे की नियमितताओं और खान-पान की व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। अब सुपरफास्ट ट्रेनों की समय पाबंद होने को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है।

Updated on: 24 Jul 2017, 06:55 AM

highlights

  • उत्तर मध्य रेलवे और दक्षिण मध्य रेलवे ने सुपरफास्ट चार्ज के रूप में यात्रियों से 11.17 करोड़ रुपये वसूला
  • 55 किलोमीटर की औसत स्पीड या उससे ज्यादा की कैटगरी वाली ट्रेनें सुपरफास्ट ट्रेन में आती हैं

नई दिल्ली:

नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में भारतीय रेलवे को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जिससे रेलवे की नियमितताओं और खान-पान की व्यवस्था पर सवाल खड़े किए गए हैं। CAG ने एक और खुलासा किया है जिसके मुताबिक सुपरफास्ट ट्रेन ज्यादातर समय लेट रहती है।

CAG की रिपोर्ट में कहा गया है, 'उत्तर मध्य रेलवे और दक्षिण मध्य रेलवे ने सुपरफास्ट चार्ज के रूप में यात्रियों से 11.17 करोड़ रुपये वसूले हैं, लेकिन उनमें से कुछ सुपरफास्ट ट्रेन 95 प्रतिशत से ज्यादा समय अपने गंतव्य स्थानों पर देर से पहुंचती है।

रेलवे बोर्ड के अनुसार, 55 किलोमीटर की औसत स्पीड या उससे ज्यादा की कैटगरी वाली ट्रेनें सुपरफास्ट ट्रेन में आती हैं।

2013-14 से 2015-16 में उत्तर मध्य रेलवे और दक्षिण मध्य रेलवे की ट्रेनों में समय पाबंदी को लेकर किए गए अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। अपने गंतव्य स्थानों पर ज़्यादातर ट्रेन 13.48% से लेकर 95.17% दिन लेट पहुंचती है।

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वर्तमान में ट्रेन की देरी होने पर पैसे वापस होने की कोई नीति या नियम नहीं है। लेकिन जो यात्री ट्रेन के 3 घंटे या उससे अधिक लेट होने पर टीडीआर (टिकट डिपॉजिट अगेन्स्ट रिजर्वेशन) फाइल करते हैं, उसमें पैसे रिफन्ड होने की संभावना रहती है।

रेलवे के अनुसार, ट्रेन के अलग- अलग कोचों के लिए अलग सुपरफास्ट चार्ज लगाया जाता है। भारतीय रेल जनरल डब्बे के लिए 15, स्लीपर के लिए 30, एसी चेयरकार, एसी-3, एसी-2 के लिए 45 और एसी-1 के लिए 75 रुपये चार्ज वसूलता है।

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