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23 जून को श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर बीजेपी जम्मू-कश्मीर में करेगी शक्ति प्रदर्शन

बीजेपी के लिए यह रैली कितना व्यापक होने जा रहा है इस बात का अंदाज़ा ऐसे भी लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ख़ुद भी इस रैली में हिस्सा लेगें।

Updated on: 21 Jun 2018, 09:37 AM

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर में महबूबा सरकार के गिरते ही बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) काफी सक्रिय हो गई है।

बीजेपी ने घोषणा की है कि 23 जून को श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि के मौके पर राज्य में एक बड़ी रैली होने जा रही है।

बीजेपी के लिए यह रैली कितना व्यापक होने जा रहा है इस बात का अंदाज़ा ऐसे भी लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ख़ुद भी इस रैली में हिस्सा लेगें।

इस दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 23 जून को जम्मू का दौरा करके अगले साल प्रस्तावित लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की तैयारियों का जायजा भी लेंगे।

बीजेपी के पीडीपी नीत गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद शाह का यह जम्मू कश्मीर का पहला दौरा होगा।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना ने रैली की जानकारी देते हुए राज्य की सभी राष्ट्रवादी ताकतों को एक साथ आने का आवाहन किया है।

रवींद्र रैना ने संवाददाताओं से कहा, 'शाह भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि देने जम्मू आ रहे हैं। वह आगामी संसदीय चुनाव के लिए पार्टी की राज्य इकाई की तैयारियों का जायजा लेंगे।'

रैना ने कहा कि शाह अगले चुनाव से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए पार्टी की चुनाव समिति की बैठक की अध्यक्षता करेंगे।

उन्होंने कहा , 'ब्राहमण सभा परेड रोड के सामने एक विशाल जनसभा का आयोजन होगा जिसे शाह संबोधित करेंगे। जनसभा में बड़ी संख्या में लोगों के आने की संभावना है क्योंकि राष्ट्रहित में बीजेपी द्वारा सरकार त्यागने की जनता में बहुत प्रशंसा हो रही है।'

रैना के साथ पूर्व उपमुख्यमंत्री कवींद्र गुप्ता सहित वरिष्ठ पार्टी नेता मौजूद थे। उन्होंने कहा कि बीजेपी 23 जून को 'मुखर्जी का बलिदान दिवस' मना रही है।

गौरतलब है कि मंगलवार को अचानक ही बीजेपी ने पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) से अलग होने का फ़ैसला किया था, जिसके तुरंत बाद महबूबा मुफ़्ती ने राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया।

बुधवार को राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही राज्य में राज्यपाल शासन लगा दिया गया है।

इससे पहले बीजेपी ने घाटी में आतंकवादी गतिविधियों व कट्टरवाद की बढ़ोतरी का हवाला देते हुए कहा कि गठबंधन में बने रहना मुश्किल हो गया था। बीजेपी महासचिव राम माधव ने कहा, 'सरकार के बीते तीन सालों के कार्यो की समीक्षा करने व गृह मंत्रालय व एजेंसियों से परामर्श करने व प्रधानमंत्री व बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से सलाह के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जम्मू एवं कश्मीर में गठबंधन का आगे बढ़ना मुश्किल है।'

राम माधव ने कहा, 'बीजेपी के लिए जम्मू एवं कश्मीर में आज के समय में पैदा हुए हालात में गठबंधन में बने रहना मुश्किल हो गया है। घाटी में आतंकवाद व हिंसा बढ़ी है और कट्टरता तेजी से फैल रही है। घाटी में नागरिकों के मूल अधिकार और अभिव्यक्ति के अधिकार खतरे में हैं और श्रीनगर में दिनदहाड़े वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या इसका मिसाल है।'

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पीडीपी व बीजेपी ने दिसंबर 2014 के चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में दो महीने से ज्यादा समय बाद गठबंधन सरकार का गठन किया था। जम्मू एवं कश्मीर की 89 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी को 25 व पीडीपी को 28 सीटें मिलीं थीं, जबकि नेशनल कांफ्रेस को 15 व कांग्रेस 12 सीटों पर जीत मिली थी। पीडीपी-बीजेपी सरकार एक मार्च, 2015 को सत्ता में आई थी।

बीजेपी नेता ने कहा कि गठबंधन कश्मीर में शांति बहाल करने की मंशा व राज्य के जम्मू एवं लद्दाख सहित सभी तीनों क्षेत्रों में तेजी से विकास को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था।

उन्होंने कहा, 'बीजेपी ने एक अच्छी सरकार देने के लिए अपना बेहतरीन प्रयास किया। केंद्र ने 80,000 करोड़ रुपये का एक पैकेज दिया था। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य का कई बार दौरा किया और केंद्र सरकार ने कश्मीर में मुद्दों को हल करने के एक गंभीर प्रयास के तौर पर एक वार्ताकार की नियुक्ति की थी। सीमा पर भी हमने हिंसा को नियंत्रित करने के लिए 4,000 बंकरों के निर्माण का कदम उठाया। राज्य सरकार जो भी चाहती थी हम उसे देने को तैयार थे।'

लेकिन माधव ने कहा कि उन्हें दुख है कि सरकार अपनी जिम्मेदारी के निर्वहन में विफल रही और जम्मू एवं लद्दाख क्षेत्र के साथ भेदभाव की भावना जारी रही।

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उन्होंने कहा, 'तीन साल के बाद आज हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि पूरे राष्ट्र के हित में जिसका जम्मू एवं कश्मीर अखंड हिस्सा है और देश की अखंडता व संप्रभुता के हित में सुरक्षा के बड़े हित को ध्यान में रखते हुए स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए हमने यह फैसला किया है कि राज्य की मौजूदा स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए यह राज्य की सत्ता की बागडोर राज्यपाल (एन एन वोहरा) को थोड़े समय के लिए सौंपने का समय है। स्थिति के सुधरने के बाद हम विचार करेंगे कि भविष्य में क्या करना है और राजनीतिक प्रक्रिया को आगे ले जाएंगे।'

उन्होंने कहा कि संघर्षविराम की घोषणा केंद्र द्वारा राज्य में शांति लाने की मंशा से व रमजान के पवित्र महीने में कश्मीर के लोगों को राहत देने के लिए की गई थी।

उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद थी कि हमें हुर्रियत जैसी अलगाववादी ताकतों व आतंकवादियों से एक अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी। हमारी कोई मजबूरी नहीं थी। यह एक सद्भावना संकेत था और हमने इसे दृढ़ता से किया।'

बीजेपी नेता ने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या के बाद संघर्षविराम को बढ़ाने का कोई सवाल नहीं था। अगर आतंकवादी शहर में दाखिल होते हैं और उच्च सुरक्षा वाले इलाके में दिनदहाड़े बुखारी की हत्या करते हैं तो संघर्षविराम को जारी रखने का कोई सवाल नहीं है।

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राम माधव ने यह भी कहा कि बीते तीन सालों में कट्टरवाद को रोकने के दौरान 600 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए हैं।

उन्होंने कहा, 'आतंकवादियों के खिलाफ हमारा अभियान जारी रहेगा और इसके बारे में कोई संदेह नहीं है। इसी वजह से हम सरकार से बाहर जा रहे हैं।'

सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि दिए गए कारणों के अलावा सरकार से बाहर जाने का कोई अन्य कारण नहीं है। हम राज्य में अपनी जमीन खोने को लेकर चिंतित नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि चुनाव में मिले जनादेश का सम्मान करने के लिए गठबंधन बना था और दोनों पार्टियां साथ आईं और सरकार चलाने की कोशिश कीं।

उन्होंने कहा कि राज्य अतीत में हिंसा बढ़ने और इस पर नियंत्रण की अवधि के दौरान ऐसी स्थिति का सामना करना कर चुका है।

उन्होंने कहा, 'हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि वर्तमान हालात व परिस्थिति में हम सरकार में बने रहने में असमर्थ हैं।'

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