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जन्मदिन विशेष: आजीवन क्यों कुंवारे रह गए अटल बिहारी वाजपेयी?

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा में पले-बढ़े अटल जी राजनीति में उदारवाद और समता एवं समानता के समर्थक माने जाते हैं।

Updated on: 16 Aug 2018, 03:21 PM

नई दिल्ली:

भारत के राजनीतिक इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी का संपूर्ण व्यक्तित्व शिखर पुरुष के रूप में दर्ज है। उनकी पहचान एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रशासक, भाषाविद, कवि, पत्रकार व लेखक के रूप में है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा में पले-बढ़े अटल जी राजनीति में उदारवाद और समता एवं समानता के समर्थक माने जाते हैं। उन्होंने विचारधारा की कीलों से कभी अपने को नहीं बांधा।

उन्होंने राजनीति को दलगत और स्वार्थ की वैचारिकता से अलग हट कर अपनाया और उसको जिया। जीवन में आने वाली हर विषम परिस्थितियों और चुनौतियों को स्वीकार किया। नीतिगत सिद्धांत और वैचारिकता का कभी कत्ल नहीं होने दिया।

राजनीतिक जीवन के उतार चढ़ाव में उन्होंने आलोचनाओं के बाद भी अपने को संयमित रखा।

वे एक कवि के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहते थे। लेकिन, शुरुआत पत्रकारिता से हुई। पत्रकारिता ही उनके राजनैतिक जीवन की आधारशिला बनी। उन्होंने संघ के मुखपत्र पांचजन्य, राष्ट्रधर्म और वीर अर्जुन जैसे अखबारों का संपादन किया।

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कविताओं को लेकर उन्होंने कहा था कि मेरी कविता जंग का एलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं। वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय संकल्प है। वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है।

उनकी कविताओं का संकलन 'मेरी इक्यावन कविताएं' खूब चर्चित रहा जिसमें..हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा..खास चर्चा में रही।

राजनीतिक सेवा का व्रत लेने के कारण वे आजीवन कुंवारे रहे। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया था।

1957 में देश की संसद में जनसंघ के सिर्फ चार सदस्य थे जिसमें एक अटल बिहारी बाजपेयी थी थे।

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संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए हिंदी में भाषण देने वाले अटलजी पहले भारतीय राजनीतिज्ञ थे। हिन्दी को सम्मानित करने का काम विदेश की धरती पर अटलजी ने किया।

पोखरण जैसा आणविक परीक्षण कर दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के साथ दूसरे मुल्कों को भारत की शक्ति का अहसास कराया।

जनसंघ के संस्थापकों में से एक अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक मूल्यों की पहचान बाद में हुई और उन्हें बीजेपी सरकार में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

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