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जन्मदिन विशेषः PM मोदी के बड़े फैसले जिसने देश की जनता को चकित कर दिया

पीएम मोदी के चौकाने वाले फैसलों में पाकिस्तान यात्रा। नोटबंदी और यूपी विधानसभा चुनाव के बाद योगी आदित्यनाथ के नाम पर मुख्यमंत्री बनने का मुहर लगाना।

Updated on: 17 Sep 2017, 10:07 AM

नई दिल्ली:

देश के प्रधानमंत्री नरेंद मोदी अपने चौकाने वाले फैसलों के कारण लगतार देश की जनता के बीच शुर्खियों में रहते हैं। पीएम बनने के बाद एक नहीं दो नहीं बल्कि कई ऐसे फैसले लिए हैं।

पीएम मोदी के चौकाने वाले फैसलों में पाकिस्तान यात्रा। नोटबंदी और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद योगी आदित्यनाथ के नाम पर मुख्यमंत्री बनने का मुहर लगाना।

इसके अलवा कई और ऐसे फैसले हैं जिस कारण प्रधानमंत्री हमेशा चर्चा में रहते हैं। जैसे निर्मला सीतारमण को रक्षा मंत्री बनाना और बिहार में नीतीश कुमार के खिलाफ चुनाव लड़कर चुनाव बाद हाथ मिलाना।

आज कुछ ऐसे ही पीएम के फैसलों के बारे में बताएंगे कि कब कहां और कैसे बिना किसी को बताए देश की जनता को सरप्राईज दिया।

पाकिस्ताना यात्रा

अफगानिस्तान के दौरे पर गए पीएम नरेंद्र मोदी अचानक से पाकिस्तान पहुंच गए। काबुल से नई दिल्ली लौटते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबको चौंकाते हुए अचानक लाहौर का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने नवाज शरीफ को उनके जन्मदिन की बधाई दी और शरीफ की नातिन की शादी में शरीक हुए।

लाहौर से 40 किलोमीटर दूर शरीफ के पुश्तैनी घर में 90 मिनट तक ठहरने के दौरान दुल्हन को आशीर्वाद देने के बाद मोदी बाद में नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे।

नोटबंदी

जाली नोटों और काले धन पर लगाम लगाने के लिए पीएम मोदी ने 8 नवंबर 2016 की रात सबसे बड़ा फैसला किया था। पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में ऐलान किया कि मंगलवार आधी रात से 500 और 1000 रुपये के नोट अमान्य हो जाएंगे।

पीएम ने अपने ऐलान में कहा था कि जिनके पास 500 या 1000 रुपये के नोट हैं वे लोग 30 दिसंबर तक यानी इन्हें नजदीकी बैंक या डाकघर में जमा कर सकते हैं या बदल सकते हैं।

सर्जिकल स्टाईक
29 सितम्बर 2016 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी लॉन्च पैड्स पे सर्जिकल स्ट्राइक किया था। इस दौरान भारतीय सैनिकों ने कई आतंकियों को ढेर कर दिया था। जवानों ने आतंकियों के कई लॉन्च पैड को तबाह कर दिया था।

जवानों के इस कार्रवाई के बाद सीमा पार से कुछ दिनों तक आतंकी गतिविधियां कम हो गई थी। हालांकि बाद में देश के ही कई राजनीतिक दलों ने इस फैसले पर सवाल भी खड़े किए थे।