SC/ST एक्ट के खिलाफ स्वर्ण संगठनों का भारत बंद, यूपी बिहार समेत कई जगहों पर रोकी रेल
देश भर के 100 से अधिक संगठनों ने इस भारत बंद का आह्वान किया है। बिहार में भी बंद का अच्छा-खासा असर देखने को मिल सकता है।
नई दिल्ली:
मोदी सरकार की तरफ से एससी/एसटी एक्ट (SC/ST Act) में किए गए संशोधन के विरोध में सवर्ण संगठनों ने आज (गुरुवार) को भारत बंद का ऐलान किया है। बंदी को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। भारत बंद के तहत मध्य प्रदेश सबसे संवेदनशील बना हुआ है, जहां पुलिस और प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद हैं।
इस राज्य में एससी-एसटी एक्ट को लेकर सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है।
राज्य में केंद्रीय मंत्रियों का घेराव के अलावा प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर जूता फेंकने, गाड़ी पर पथराव तथा काले झंडे दिखाए जाने की अनेक घटनाएं हुईं।
Live Updates:
दिल्लीः शुरुआती तौर पर दिल्ली में भी दिख रहा है बंद का असर।
राजस्थानः भारत बंद के दौरान बारां जिला पूरी तरह से बंद है। पेट्रोल पंप स्कूल रोडवेज की बसें भी नहीं चल रही है।
यूपीः आगरा में बंद समर्थकों ने रेल की पटरियों पर धरना देकर रेल को रोक दिया। बंद समर्थक पटरियों पर डटे हुए हैं।
राजस्थानः बारां जिले में भारत बंद का दिख रहा है असर, शहर के सभी दुकानें ओर पेट्रोल पंप बंद। बसों का संचालन भी हुआ ठप।
बिहारः कई इलाकों में चक्का जाम। शहर की सभी दुकानें बंद, सड़कों पर टायर जलाकर लोग कर रहे हैं विरोध प्रदर्शन।
बिहारः जहानाबाद में आरक्षण और SC/ST एक्ट के विरोध में बढ़ेता गांव के पास NH-110 को जाम करते लोग।
महाराष्ट्रः भयंदर इलाके में प्रदर्शन, हाथों में पोस्टर लेकर एक्ट के खिलाफ नारे लगाकर सवर्णों ने किया प्रदर्शन।
राज्य में स्कूल और कॉलेजों को बंद कर दिया गया है। साथ ही पेट्रोल पंप भी दिन भर बंद रहेंगे। भारत बंद का असर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा सहित कई अन्य राज्यों में देखने को मिल सकता है।
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देश भर के 100 से अधिक संगठनों ने इस भारत बंद का आह्वान किया है। बिहार में भी बंद का अच्छा-खासा असर देखने को मिल सकता है। अपनी मांग को लेकर कई दिनों से सवर्ण संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहा है।
क्या है मामला
विवाद उस एससी-एसटी ऐक्ट को लेकर है, जिसमें मोदी सरकार ने संशोधन करते हुए सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया था। एससी-एसटी संशोधन विधेयक 2018 के जरिए मूल कानून में धारा 18A को जोड़ते हुए पुराने कानून को बहाल कर दिया जाएगा।
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सरकार की ओर से किए गए संशोधन के बाद इस मामले में केस दर्ज होते ही गिरफ्तारी का प्रावधान फिर से जोड़ दिया गया है। इसके अलावा आरोपी को अग्रिम जमानत भी नहीं मिलेगी, बल्कि हाई कोर्ट से ही नियमित जमानत मिल सकेगी।
जातिसूचक शब्दों का उपयोग करने की शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज होगा और मामले की जांच इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी करेंगे। एससी-एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होगी।
इतना ही नहीं सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर करने से पहले जांच एजेंसी को अथॉरिटी से इजाजत भी नहीं लेनी होगी।
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