शिया वक्फ बोर्ड का प्रस्ताव, अयोध्या में बने मंदिर और लखनऊ में 'मस्जिद-ए-अमन'
लंबे समय से चले आ रहे अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने एक प्रस्ताव तैयार कर योगी सरकार को सौंप दिया है। इस प्रस्ताव में बोर्ड ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का ही निर्माण होना चाहिए।
लखनऊ:
लंबे समय से चले आ रहे अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने एक प्रस्ताव तैयार कर योगी सरकार को सौंप दिया है। इस प्रस्ताव में बोर्ड ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का ही निर्माण होना चाहिए और दोनो समुदाय की भावनाओं का सम्मान रखते हुए सरकार को लखनऊ में घंटाघर के पास मस्जिद-ए-अमन का भी निर्माण कराना चाहिए।
शिया वक्फ बोर्ड ने कहा, 'अगर उत्तर प्रदेश सरकार लखनऊ के हुसैनाबाद में घंटाघर के सामने मस्जिद बनाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लेती है तो बोर्ड भी जमीन राम मंदिर के निर्माण के लिए हिंदु समुदाय को सौंपने के लिए तैयार हैं।'
After discussions with different parties we have prepared a proposal in which a Ram Temple will be built in Ayodhya and a Mosque can be built in Lucknow.This is a solution which will ensure peace and brotherhood in the country: Syed Waseem Rizvi,Chairman,Shia Central Waqf Board pic.twitter.com/Y8LjtNR8jg
— ANI (@ANI) November 20, 2017
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शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कहा कि विवादित जमीन पर राम मंदिर बने ताकि हिन्दू और मुसलमानों के बीच का विवाद हमेशा के लिए खत्म हो और देश में अमन कायम हो सके।
शिया वक्फ बोर्ड ने अपने प्रस्ताव में मांग की है कि मस्जिद का नाम किसी मुस्लिम राजा या शासक के नाम पर न होकर 'मस्जिद-ए-अमन' रखा जाए।
बोर्ड ने अयोध्या के विवादित मामले का फार्मूला 18 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट में जमा करा दिया। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अनुसार इस मसौदे का दिगंबर अखाड़े के सुरेश दास, हनुमान गढ़ी के धर्मदास, निर्मोही अखाड़े के भास्कर दास, राम विलास वेदांती, गोपालदास और नरेंद्र गिरी ने भी समर्थन किया है।
बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कहा - हमने अयोध्या विवाद के हल का मसौदा (मस्जिद-ए अमन) सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दिया है। यह मसौदा तमाम लोगों से बातचीत के बाद खासकर हिंदू पक्षकारों के बाद तैयार किया गया है, और इस पर सभी सहमत हैं।
5 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई करेगा।
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