सुप्रीम कोर्ट ने असम NRC संयोजक को लगाई फटकार, कहा- आप अदालत की अवमानना के दोषी हैं
30 जुलाई को आख़िरी ड्राफ्ट जारी किया गया था जिसमें 40 लाख़ लोगों का नाम सूची से बाहर रखा गया है। इसमें से 37.59 लाख नामों को अस्वीकार कर दिया गया और 2.89 लाख नामों पर अभी फैसला नहीं हुआ है।
नई दिल्ली:
NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन) पर मचे राजनीतिक घमासान के बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने असम एनआरसी संयोजक प्रतीक हजेला और रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया को मीडिया में बयान देने पर चेतावनी देते हुए कहा कि आप अदालत की अवमानना के दोषी हैं। कोर्ट ने कहा कि हजेला और रजिस्ट्रार जनरल ने बिना कोर्ट को सूचित किए असम एनआरसी मुद्दे पर मीडिया से बातचीत क्यों की।
बता दें कि 30 जुलाई को आख़िरी ड्राफ्ट जारी किया गया था जिसमें 40 लाख़ लोगों का नाम सूची से बाहर रखा गया है। इसमें से 37.59 लाख नामों को अस्वीकार कर दिया गया और 2.89 लाख नामों पर अभी फैसला नहीं हुआ है। इससे पहले 31 जुलाई को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि जिन लोगों का नाम सूची से बाहर है उन्हें फिर से निष्पक्ष तरीके से आवेदन करने का मौक़ा मिलना चाहिए। साथ ही केंद्र सरकार को NRC की सूची से बाहर लोगों के साथ बलपूर्वक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश जारी किया है।
जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने केंद्र से NRC से बाहर हुए लोगों के दावों से निपटने के लिए केंद्र सरकार से SOP (मानक संचालन प्रक्रिया) तैयार करने का भी निर्देश दिया है।
NRC कॉर्डिनेटर ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जिन लोगों के नाम दूसरे ड्राफ्ट में शामिल नहीं किये गए है, वो 7 अगस्त के बाद इसकी वजह जान सकते है और 30 अगस्त के बाद नागरिकता को लेकर अपनी आपत्तियां/दावे दर्ज करा सकते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि NRC के अंतिम ड्राफ्ट के रिलीज के आधार पर अथॉरिटी किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नही कर सकती और जिन लोगों के नाम छूट गए है, उन्हें पूरा मौका मिलने के बाद ही कोई एक्शन लिया जाएगा।
इससे पहले NRC के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला ने मीडिया को बताया, 'वैसे लोग जिनका असम नेश्नल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स ड्राफ्ट (NRC) में नाम नहीं है उन्हें जेल या बाहर नहीं भेजा जाएगा।'
उन्होंने कहा, 'सभी 40 लाख़ लोग जिनका नाम लिस्ट से बाहर है वो फिर से दावा करते हुए आवेदन कर सकते हैं। 30 अगस्त से 28 सितम्बर के बीच इन सभी लोगों के आवेदन लिए जाएंगे। उसके बाद सभी लोगों से एक- एक कर मुलाक़ात की जाएगी जिससे की वो समिती के सामने अपनी बात रख सके। आख़िर में सूची पर फैसला कर फिर से लिस्ट जारी की जाएगी।'
हजेला ने कहा कि लोगों के पास उसके बाद भी दावा करने का अधिकार होगा। उन्होंने कहा, 'लोग निश्चित रूप से सोच रहे होंगे कि वो अब क्या करेंगे। फिलहाल इन लोगों के ख़िलाफ किसी तरह का क़ानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी। कोई भी उनका अधिकार नहीं छीन सकता। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में यह साफ़ स्पष्ट कर दिया है।'
उल्लेखनीय है कि NRC में कुल 3,29,91,384 आवेदकों में से अंतिम मसौदे में शामिल किए जाने के लिए 2,89,83,677 लोगों को योग्य पाया गया है। इस दस्तावेज में 40.07 लाख आवेदकों को जगह नहीं मिली है। यह 'ऐतिहासिक दस्तावेज' असम का निवासी होने का प्रमाण पत्र होगा।
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1951 के बाद से देश में पहली बार अवैध प्रवासियों को रोकने के लिए इस तरह का कोई लिस्टा जारी किया गया है। माना जा रहा है कि इस लिस्ट के जारी होने के बाद बांगलादेश से हो रहे अवैध प्रवास को रोकने में मदद मिलेगी। इस लिस्ट में 25 मार्च 1971 से पहले से रह रहे लोगों को ही असम का नागरिक माना गया है।
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