गिरती अर्थव्यवस्था पर बोले अरुण जेटली, मोदी सरकार जल्द ही उठाएगी क़दम
इस बैठक में आर्थिक सुस्ती के बीच केंद्र सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए किए गाए कार्य और संभावित प्रोत्साहन पैकेज पर भी चर्चा की गई।
highlights
- कैबिनेट की बैठक में आर्थिक सुस्ती और केंद्र सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के उपाय पर चर्चा
- सरकार गिरती अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगी
- जरूरत पड़ने पर पीएम के साथ विचार-विमर्श कर प्रोत्साहन पैकेज भी दिया जाएगा
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में देश की गिरती अर्थव्यवस्था पर चर्चा हुई। इस बैठक में आर्थिक सुस्ती के बीच केंद्र सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए किए गाए कार्य और संभावित प्रोत्साहन पैकेज पर भी चर्चा की गई।
बुधवार को कैबिनेट मीटिंग के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था की स्थिति सुधारने के लिए जरूरी कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार की अर्थव्यवस्था पर नजर है और जरूरत पड़ने पर प्रोत्साहन पैकेज जैसे अतिरिक्त क़दम भी उठाए जाएंगे।
उन्होंने कहा, 'हमने सभी उपलब्ध आर्थिक संकेतों को संज्ञान में लिया है। यह सुधार एजेंडे पर एक सक्रिय सरकार रही है। बीते दो दिनों से मैंने अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों और कई सचिवों से चर्चा की है।'
जेटली ने बताया कि कुछ दिनों पहले ही गिरती अर्थव्यवस्था पर एक्सपर्ट और पीएमओ के अधिकारियों से चर्चा की गई थी। जेटली ने संवाददाताओं से कहा, 'सरकार प्रधानमंत्री से सलाह के बाद आने वाले दिनों में अतिरिक्त उपाय करेगी। जब भी यह कदम उठाए जाएंगे आपको बताया जाएगा।'
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उन्होंने कहा कि हमारी सरकार मामलों को लेकर पहले से सतर्क है और अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए जो भी जरूरी क़दम होगा उठाएंगे। पीएम के साथ विचार-विमर्श कर फैसलों की घोषणा की जाएगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को गैर राजपत्रित रेल कर्मचारियों के 78 दिनों के उत्पादकता से जुड़े बोनस को मंजूरी दे दी। जेटली ने कहा, 'मंत्रिमंडल ने गैर राजपत्रित रेल कर्मचारियों के लिए 2016-17 के लिए 78 दिनों के उत्पादकता से जुड़े बोनस को मंजूरी दे दी है।'
उन्होंने कहा कि मौजूदा फार्मूला के अनुसार उत्पादकता से जुड़ा बोनस 72 दिनों के लिए था। वित्त मंत्री ने कहा, 'छह साल पहले 78 दिनों के बोनस दिए जाने की परंपरा थी। इसलिए मंत्रिमंडल ने 78 दिनों के उत्पादकता से जुड़े बोनस को मंजूरी दी है।'
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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 17 सरकारी प्रिंटिंग प्रेसों का पांच इकाइयों में विलय करने का फैसला भी किया। इससे किसी भी नौकरी को नुकसान नहीं पहुंचेगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इस कदम से सरकार 468 एकड़ भूमि को केंद्रीय पूल में लेने में सक्षम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रिंटिंग प्रेस के अतिरिक्त कर्मचारियों को फिर से तैनाती दी जाएगी।
मंत्री ने कहा, 'सभी नौकरियों की रक्षा की जाएगी।' ये प्रिंटिंग प्रेस दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, केरल, पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़, ओडिशा व कर्नाटक में स्थित हैं।
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वित्तमंत्री ने मंगलवार शाम आर्थिक स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की थी। इसमें आर्थिक मंदी के बीच एक संभावित प्रोत्साहन पैकेज सहित उपायों पर चर्चा की गई।
इस बैठक में रेल मंत्री पीयूष गोयल, वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु, मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम व वित्त मंत्रालय के सचिवों -अशोक लवासा, सुभाष चंद्र गर्ग, हसमुख अधिया, राजीव कुमार व नीरज कुमार गुप्ता ने भाग लिया था।
पहले यह समीक्षा बैठक प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होनी थी।
परिवहन ईंधनों की मौजूदा ऊंची कीमतों पर जेटली ने कहा कि यह वैश्विक कीमतों में अस्थायी वृद्धि है, और अमेरिकी तट पर आए तूफान की वजह से आपूर्ति व मांग में असंतुलन के कारण है।
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पेट्रोलियम उत्पादों के कर में कटौती की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सरकार को विकास व सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक खर्च के लिए धन की जरूरत है।
उन्होंने कहा, 'राज्य बहुत ज्यादा कर ले रहे हैं.. इसके पहले पाक्षिक मूल्य निर्धारण व्यवस्था के दौरान जब हमने ईंधन कीमतें कम की थी तो दिल्ली, हरियाणा जैसे राज्यों ने तत्काल वैट बढ़ाकर ज्यादा पैसा कमाया। कांग्रेस व वाम शासित राज्यों को उपकरों को कम करने का कदम उठाना चाहिए।'
मूल्य वृद्धि पर विपक्ष का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि मुद्रास्फीति के दोहरे अंकों में होने के दौरान चुप रहने वाली पार्टियां, आज जब यह 3.3 फीसदी है, तो चिल्ला रही हैं।
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उन्होंने कहा, 'मानसून के दौरान सब्जियों की कीमतें बढ़ना एक सामान्य बात है और अभी भी मुद्रास्फीति 3.36 फीसदी है।'
व्यापारियों को जीएसटी रिटर्न दाखिल करने में तकनीकी गड़बड़ियों से हो रही परेशानी पर जेटली ने इसे अंतिम तिथि पर जल्दबाजी को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा, 'जीएसटी की बहुत सी समस्याएं करदाताओं द्वारा खुद पैदा की गई हैं। उदाहरण के तौर पर आज (बुधवार) रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि है, लेकिन पिछली रात तक सिर्फ 25 फीसदी ने अपने करों का भुगतान किया था।'
उन्होंने कहा, 'इसलिए यदि 75 फीसदी लोग आखिरी तारीख का इंतजार करेंगे तो प्रणाली में गड़बड़ी होनी ही है.. इसकी सीमा प्रति घंटे एक लाख है या पूरे दिन में 24 लाख है। पिछली रात तक कोई समस्या नहीं थी।'
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