अनिल माधव दवे ने 5 साल पहले लिखी थी वसीयत, जानें उनकी अंतिम इच्छा
दवे की वह वसीयत जो उन्होंने अपने निधन से पांच साल पहले लिखा था। तब न तो वे सांसद थे, न हीं मंत्री।
नई दिल्ली:
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का निधन गुरुवार सुबह हो गया। अपनी छवि के कारण उनकी यादें लोगों के बीच बनी रहेगी। उनकी वसीयत भी लोग याद रखेंगे।
दवे की वह वसीयत जो उन्होंने अपने निधन से पांच साल पहले लिखा था। तब न तो वे सांसद थे, न हीं मंत्री। उन्होंने अपने वसियत 23 जुलाई 2012 को लिखी थी। इसमे दवे ने अपनी चार इच्छाओं का जिक्र किया था। आखिर उनकी वसीयत में क्या था आईए जानते हैं।
पहली इच्छा में उन्होंने लिखा था कि संभव हो तो मेरा दाह संस्कार बांद्राभान में नदी महोत्सव वाले स्थान पर किया जाए। दूसरी इच्छा उन्होंने जाताई थी कि उत्तर क्रिया के रूप में केवल वैदिक कर्म ही हो, किसी भी प्रकार का दिखावा, आंडबर न हो।
तीसरी इच्छा को लेकर उन्होंने लिखा था कि मेरी स्मृति में कोई भी स्मारक, प्रतियोगिता, पुरस्कार, प्रतिभा इत्यादि जैसे विषय कोई भी न चलाएं।
चौथी इच्छा को लेकर उन्होंने कहा था कि जो मेरी स्मृति में कुछ करना चाहते है, वे कृपया वृक्षों को बोने व उन्हें संरक्षित कर बड़ा करने का कार्य करेंगे तो मुझे आनंद होगा। वैसे ही नदी-जलाशयों के संरक्षण में अपनी साम्थर्य के अनुसार, अधिकतम प्रयत्न भी किए जा सकते है। ऐसा करते हुए भी मेरे नाम के प्रयोग से बचेंगे।
इसे भी पढ़ेंः कुलभूषण जाधव की फांसी पर इंटरनेशनल कोर्ट ने लगाई रोक, बौखलाए पाकिस्तान ने कहा नहीं मानेंगे फैसला
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह
-
Abrahamic Religion: दुनिया का सबसे नया धर्म अब्राहमी, जानें इसकी विशेषताएं और विवाद
-
Peeli Sarso Ke Totke: पीली सरसों के ये 5 टोटके आपको बनाएंगे मालामाल, आर्थिक तंगी होगी दूर
-
Maa Lakshmi Mantra: ये हैं मां लक्ष्मी के 5 चमत्कारी मंत्र, जपते ही सिद्ध हो जाते हैं सारे कार्य