तीन तलाक़ पर लखनऊ में AIMPLB की आपातकालीन बैठक, अगले हफ्ते लोकसभा में पेश होगा बिल
मौलवियों और मुस्लिम संगठनों का कहना है कि उनके पर्सनल लॉ में 'दखल' देने वाले विधेयक का मसौदा तैयार करने में उनसे संपर्क नहीं किया गया है।
नई दिल्ली:
लोकसभा में तीन तलाक़ बिल पेश किए जाने से पहले रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने लखनऊ में आपातकालीन बैठक बुलाई है।
इस बैठक में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी मौजूद हैं।
मौलवियों और मुस्लिम संगठनों का कहना है कि उनके पर्सनल लॉ में 'दखल' देने वाले विधेयक का मसौदा तैयार करने में उनसे संपर्क नहीं किया गया है।
एआईएमपीएलबी ने मंत्रिमंडल द्वारा तीन तलाक पर विधेयक को मंजूरी को मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया है, जबकि महिला कार्यकर्ताओं ने इस विधेयक को कानून बनाने के लिए राजनीतिक पार्टियों से समर्थन मांगा है।
इस साल अगस्त में सर्वोच्च न्यायालय ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था। इसके बावजूद यह परंपरा अब तक जारी है। इसलिए सरकार ने यह विधेयक लाया है।
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मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में रखने और ऐसा करने पर तीन वर्ष कारावास के प्रावधान वाले विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15 दिसम्बर को मंजूरी दे दी और सरकार ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय में महिलाओं की गरिमा व सुरक्षा को संरक्षित करना है।
मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिकार) विधेयक, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दी गई। उन्होंने गुजरात चुनाव अभियान के दौरान भी इस मुद्दे को उठाया था।
विधेयक में तत्काल तलाक को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाने के अलावा, पीड़ित महिलाओं को भरण पोषण की मांग करने का अधिकार दिया गया है।
कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने विधेयक के बारे में ज्यादा जानकारी देने से इंकार करते हुए कहा कि इसे तीन तलाक की पीड़िता की रक्षा और उन्हें सम्मान व सुरक्षा देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
विधेयक का विरोध करते हुए एआईएमपीएलबी के सदस्य मौलाना खालिद राशिद ने कहा, 'जहां तक महिलाओं को मुआवजा देने का सवाल है, वह मुस्लिम समुदाय द्वारा दिया जाता है। इसलिए हमें लगता है कि तीन तलाक विधेयक समुदाय के धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप है। यह धार्मिक स्वतंत्रता पर एक हमला है।'
वहीं एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता हीना जहीर ने विधेयक के समर्थन में कहा, 'कुरान के अनुसार, तत्काल तलाक का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को इसे अहंकार का प्रश्न नहीं बनाना चाहिए। बोर्ड को इसे खुद में सुलझाना चाहिए था। उन्होंने इसे नहीं सुलझाया। इसलिए इस मुद्दे पर बहुत ज्यादा राजनीति हुई।'
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