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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, दोबारा कुरान लिखने जैसा होगा तीन तलाक को अवैध ठहराना

इस मामले में बोर्ड ने कहा, 'अगर पवित्र कुरान की इसी तरह बुराई की जाती रही तो जल्दी ही इस्लाम खात्मे की कगार पर आ जाएगा।'

Updated on: 28 Mar 2017, 03:57 PM

highlights

  • तीन तलाक को अमान्य करार देना अल्लाह के निर्देशों का होगा उल्लंघन
  • तीन तलाक को न मानना कुरान को दोबारा लिखने जैसा होगाः बोर्ड

नई दिल्ली:

देश में तीन तलाक का मु्द्दा लगातार गरमाता जा रहा है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि अगर तीन तलाक को अमान्य करार दिया जाता है तो यह अल्लाह के निर्देशों का उल्लंघन होगा।

इस मामले में लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि तीन तलाक को न मानना कुरान को दोबारा लिखने और मुस्लिमों से जबरदस्ती पाप कराने के लिए मजबूर करने जैसा होगा। AIMPLB तीन तलाक के मुद्दे को संविधान की धारा 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) के तहत वैध बताया है।

इस मामले में बोर्ड ने कहा, 'अगर पवित्र कुरान की इसी तरह बुराई की जाती रही तो जल्दी ही इस्लाम खात्मे की कगार पर आ जाएगा। हालांकि तीन तलाक डिवॉर्स देने का बिल्कुल अलग तरीका है लेकिन कुरान की पवित्र आयतों और पैगंबर के आदेश के मद्देनजर इसे अवैध करार नहीं दिया जा सकता।'

तीन तलाक के मामले पर सुनवाई से पहले बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में लिखित दलीलें पेश की। AIMPLB ने कहा है कि तीन तलाक का आदेश कुरान से आता है।

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दलील में बोर्ड ने कहा है कि पवित्र कुरान के मुताबिक, 'तीन बार तलाक कह देने पर बीवी अपने पुराने पति के लिए 'हराम' हो जाती है और यह तब तक रहता है जब तक 'हलाला' की प्रक्रिया पूरी न कर ली जाए। कुरान में साफ लिखा गया है कि तीन बार तलाक बोल देने के बाद फैसले को बदला नहीं जा सकता है। तलाक के बाद पति उस महिला के साथ दोबारा रिश्ते में तब तक नहीं आ सकता, जब तक कि वह अपनी पसंद के किसी और शख्स से शादी न कर ले। इतना ही नहीं महिला और उसके पूर्व पति के बीच रिश्ता तब जायज माना जाएगा जब महिला के दूसरे पति की मौत हो गई हो या उससे तलाक हो गया हो।'

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AIMPLB के वकील एजाज मकबूल ने कहा कि तीन तलाक का मकसद तलाकशुदा महिलाओं को अपनी मर्जी से दोबारा शादी करने का हक देना है। बोर्ड ने यह भी कहा है कि सभी मुस्लिम कुरान और पैगम्बर के निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं।