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NSG, मसूद अजहर पर चीन के तेवर कायम, भारत संग बातचीत से पहले दिखाई तल्खी

भारत और चीन के बीच 22 फरवरी को होने वाली बैठक से पहले ही चीन ने दिखाई तल्खी, एनएसजी और मसूद अजहर पर नहीं बदला रुख।

Updated on: 17 Feb 2017, 10:25 PM

नई दिल्ली:

चीन की भारत के साथ होने वाली रणनीतिक बातचीत से पहले चीन ने अपने कड़े तेवर दिखाने शुरु कर दिए हैं। चीन ने साफ कहा है कि संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर को भारत द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आंतकवादी घोषित किए जाने की मांग का चीन तब तक समर्थन नहीं करेगा जब तक उसके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिलते।

इसके अलावा भारत के न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप में शामिल होने के मुद्दे पर भी चीन के तेवर कड़े हैं। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस मुद्दे पर उनका स्थिर रवैया है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने मीडिया से बातचीत के दौरान यह बयान दिए हैं।

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इसी के साथ जेंग शुआंग ने यह भी साफ किया है चीन एक है। गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच रणनीतिक वार्तालाप 22 फरवरी को होनी है। भारत के विदेश सचिव एस जयशंकर और चीन के एग्जिक्युटिव वाइस-चेयरमैन हांग येसुई की सह-अध्यक्षता में यह बैठक होने वाली है।

भारत पहले से ही संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के जैश-ए-मोहम्मद के चीफ और संसद हमले के आरोपी मसूद अज़हर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने की वकालत करता रहा है। जबकि चीन हर बार भारत की कोशिशों में अड़ंगा लगाता रहा है।

चीन ने मसूद अज़हर के अंतर्राष्ट्रीय आंतकवादी घोषित करने के भारत के प्रस्ताव पर कहा है कि इस प्रस्ताव का चीन तब ही समर्थन करेगा जब उसके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत होगा।

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चीन के विदेश मंत्रालय ने साफ किया है कि, 'चीन न्याय, निष्पक्षता और प्रफेशनलिजम के सिद्धांतों का समर्थन करता है और उसके लिए जरूरी चर्चा में हिस्सेदारी की वकालत करता है। फिर चाहें पिछले साल भारत द्वारा दाखिल की गई अर्जी हो या इस बार की, हमारा रुख बदला नहीं है। हमारा मानदंड बस एक है कि हमें पुख्ता सबूत चाहिए। अगर पुख्ता सबूत है तो अर्जी को मंजूरी मिल सकती है। लेकिन पुख्ता सबूत के अभाव में सहमति बनना मुश्किल है।'

इसके अलावा चीन का कहना है कि, 'हम कई बार कह चुके हैं कि यह बहुपक्षीय मुद्दा है। हम टू-स्टेप अप्रोच पर आज भी कायम हैं, जिसके तहत पहले एनएसजी के सदस्य गैर-परमाणु अप्रसार संधि वाले देशों की एंट्री को लेकर सिद्धांत तैयार करें और फिर संबंधित मामलों पर चर्चा की जाए। हमारे रुख में कोई बदलाव नहीं है। भारत के अलावा कई अन्य गैर-परमाणु अप्रसार संधि वाले देश अर्जी दे रहे हैं। सभी अर्जियों पर हमारा रुख एक जैसा है।'

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भारत से जुड़े इन दोनों मुद्दों पर चीन का कहना है कि, 'यह दोनों मुद्दे द्विपक्षीय नहीं, बहुपक्षीय हैं। हम उम्मीद करते हैं कि भारत दोनों मुद्दों पर चीन के रुख को समझ सकेगा।' इसके अलावा चीन ने वन चाइना का राग अलापते हुए चीन ने फिर दोहराया है कि चीन एक है।

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