कांग्रेस के कार्यक्रम में यशवंत सिन्हा, इशारों में मोदी-शाह की तुलना दुर्योधन और दुशासन से की
अटल सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने संसदीय लोकतंत्र की महान परंपरा को बचाने के लिए लोगो से आगे आने की अपील की। साथ ही सिन्हा ने कहा कि डर और लोकतंत्र एक साथ नहीं चलते।
highlights
- पीएम मोदी ने सरकार के फैसलों का बचाव करते हुए 'शल्य' का किया था जिक्र
- यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी सरकार के कई फैसलों का कर चुके हैं विरोध
- मनीष तिवारी के कार्यक्रम में यशवंत ने की दुर्योधन और दुशासन की बात
नई दिल्ली:
देश की अर्थव्यवस्था पर जारी बहस के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाल में महाभारत के किरदार शल्य का जिक्र किए जाने के बाद अब एक बार फिर यशवंत सिन्हा ने पलटवार किया है।
यशवंत सिन्हा ने बिना नाम लिए गुरुवार को पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर निशाना साधते हुए उनकी तुलना दुर्योधन और दुशासन से की है।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और अटल सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने संसदीय लोकतंत्र की महान परंपरा को बचाने के लिए लोगो से आगे आने की अपील की। साथ ही सिन्हा ने कहा कि डर और लोकतंत्र एक साथ नहीं चलते।
यशवंत सिन्हा ने यह बातें कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी की किताब के एक विमोचन कार्यक्रम में कही।
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सिन्हा ने कहा, 'पिछले दिन से महाभारत को लेकर चर्चा हो रही है। महाभारत के पात्र अचानक सामने आ गए हैं। कुल लोग शल्य के बारे में बात कर रहे हैं। मुझे नहीं पता कि वे शल्य के बारे में कितना जानते हैं।'
सिन्हा ने आगे कहा, 'महाभारत के दो लोकप्रिय पात्र हैं। दुर्योधन और दुःशासन। कौरव 100 भाई थी। इनमें से केवल दो प्रसिद्ध हुए, दुर्योधन और दुशासन।'
सिन्हा ने कहा कि लोकतंत्र का मतलब केवल संख्या नहीं होता। सिन्हा ने चंद्रशेखर और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं को याद करते हुए कहा, 'लोकतंत्र की आत्मा रजामंदी होती है। इसलिए, अगर आपके पास संख्य है तो भी आपको लोगों और दूसरी पार्टियों के पास जाकर उन्हें अपने साथ लाना पड़ता है।'
सिन्हा ने कहा कहा कि चंद्रशेखर और वाजपेयी जैसे नेताओं ने राजनीति में उच्च आदर्श स्थापित किए।
सिन्हा ने बीजेपी के मौजूदा नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा, 'किसी ने इससे या उससे मुक्त की बातें नहीं कही क्योंकि हम सभी लोकतांत्रिक प्रकिया का हिस्सा हैं। हम सभी जानते हैं लोकतंत्र का मतलब चर्चा होता है।'
सिन्हा ने कहा कि उन्होंने चंद्रशेखर, वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी से नेताओं से राजनीति का पहला पाठ यही सीखा था कि राजनीतिक विचारधार आपकी जो भी हो लेकिन इसे अपने व्यक्तिगत रिश्ते नें कभी स्थान नहीं देना चाहिए।
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सिन्हा यहीं नहीं रूके और कहा, 'इसलिए जब मुझसे इस कार्यक्रम को लेकर संपर्क किया गया तो मैं राजी हो गया। मैं जानता हूं कि किस-किस के साथ मेरी तस्वीरें आएंगी। इससे कुछ संदेश भी जाएंगे लेकिन मैं सच में इस सब बातों की परवाह नहीं करता।'
गौरतलब है कि बुधवार को पीएम मोदी अर्थव्यवस्था पर सरकार का बचाव करते हुए कहा था कि कुछ लोगों को तरक्की नहीं दिखती। पीएम ने आरोप लगाया था कि ऐसे लोग 'शल्य प्रवृत्ति' से पीड़ित हैं जो केवल नकारात्मक बातें फैला रहे हैं।
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