logo-image

राजस्थान पुलिस सोशल मीडिया पर नहीं रख पाएंगे राजनीतिक राय, DGP का आदेश

राजस्थान के डीजीपी ओपी गल्होत्रा ने एक सर्कुलर जारी कर पुलिसकर्मियो को सोशल मीडिया पर राजनीतिक राय रखने से मना किया है।

Updated on: 05 Feb 2018, 11:17 PM

नई दिल्ली:

राजस्थान के डीजीपी ओपी गल्होत्रा ने एक सर्कुलर जारी कर पुलिसकर्मियो को सोशल मीडिया पर राजनीतिक राय रखने से मना किया है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के कासगंज में बीते माह हुई संप्रादायिक हिंसा पर एक आईएस ऑफिसर की फेसबुक पोस्ट को लेकर काफी विवाद हो गया था। ऐसे में माना जा रहा है कि राजस्थान पुलिस अपने राज्य में ऐसा कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती।

राजस्थान के डीजीपी कार्यालय की ओर से जारी इस सर्कुलर में कहा गया है, 'अगर किसी पुलिसकर्मी ने सोशल मीडिया पर राजनीतिक बयानबाजी या कॉमेंट किया, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।'

डीजीपी की ओर से जारी सर्कुलर के मुताबिक, किसी भी पुलिसर्की द्वारा ऐसा करने पर आरोपी पुलिसकर्मी के खिलाफ राजस्थान सिविल सेवा अधिनियम 1971 की संख्या 7 और 11 और राजस्थान पुलिस अधिनियम 1948 की संख्या 82 के तहत कार्रवाई होगी।

इसे भी पढ़ें: अजय माकन का ऑडियो हुआ लीक, खास नेता को वोट देने के लिए कार्यकर्ता पर बना रहे थे दबाव

बरेली के डीएम का पोस्ट

बरेली के जिलाधिकारी (डीएम) राघवेंद्र विक्रम सिंह ने कथित तिरंगा यात्रा और उसके उद्देश्य पर सवाल उठाए थे। उन्होंने रविवार को लिखे गये अपने पोस्ट में कहा था, 'अजब रिवाज बन गया है। मुस्लिम मोहल्लों में जबरदस्ती जुलूस ले जाओ और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाओ। क्यों भाई वे पाकिस्तानी हैं क्या? यही यहां बरेली के खेलम में हुआ था। फिर पथराव हुआ, मुकदमे लिखे गए....।'

उनके इस पोस्ट पर विवाद खड़ा हो गया था। यहां तक कि प्रदेश के डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि अफसर राजनीतिक पार्टी के प्रवक्ता की तरह व्यवहार करेंगे, तो सख्त कार्रवाई होगी।

इसे भी पढ़ें: संसद में कांग्रेस का जवाबी पलटवार, कहा- 'नेम चेंजर' है मोदी सरकार

सहारनपुर की डिप्टी डायरेक्टर का पोस्ट

बरेली के डीएम के बयान के बाद सहारनपुर की डिप्टी डायरेक्टर रश्मि वरुण के फेसबुक पोस्ट ने बवाल खड़ा कर दिया था। रश्मि वरुण ने कासगंज हिंसा की तुलना सहारनपुर के मामले से करते हुए लिखा था, '..तो ये थी कासगंज की तिरंगा रैली। कोई नई बात नहीं है ये, अम्बेडकर जयंती पर सहारनपुर सड़क दुधली में भी ऐसी ही रैली निकाली गई थी जिसमे अम्बेडकर गायब थे, या कहिये भगवा रंग में विलीन हो गए थे। कासगंज में वही हुआ। जो लड़का मारा गया उसे किसी दूसरे तीसरे समुदाय ने नहीं मारा उसे केसरी,सफ़ेद और हरे रंग की आड़ लेकर भगवा ने खुद मारा। जो नहीं बताया जा रहा वो ये है कि अब्दुल हमीद कि मूर्ती या तस्वीर पर तिरंगा फहराने की बजाए इस तथाकथित तिरंगा रैली में चलने की जबरदस्ती की गयी और केसरिया, सफ़ेद,हरे और भगवा रंग पर लाल रंग भारी पड़ गया।'

क्या है मामला?
गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस पर समुदाय विशेष के लोगों ने एबीवीपी-विश्व हिंदू परिषद की तिरंगा यात्रा पर पथराव कर दिया था जिससे पूरे शहर में बवाल हो गया था। यात्रा पर जमकर फायरिंग और पथराव के साथ आगजनी की कोशिश की गई। इस दौरान गोली लगने से एक युवक चंदन गुप्ता की मौत हो गई थी। चंदन की मौत के बाद कासगंज में हिंसा भड़क उठी थी।

इसे भी पढ़ें: बजट के बाद नहीं संभल रहा बाजार, दो दिनों में 5 लाख करोड़ रुपये स्वाहा