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विश्व टीकाकरण सप्ताह : बच्चे ही नहीं 60 साल के बुजुर्गों के लिए भी जरूरी है वैक्सीनेशन

अप्रैल माह का अंतिम सप्ताह यानि कि 24 से 30 अप्रैल तक हर साल विश्व टीकाकरण सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।

Updated on: 24 Apr 2017, 06:09 PM

नई दिल्ली:

जन्म के साथ ही हमारे शरीर को बीमारियों और संक्रमण से बचने के लिए कई तरह के टीकाकरण से गुजरना पड़ता है। इनमे से कई टीके हमको जीवनभर के लिए कुछ संक्रमणों से बचाए रखते है। बच्चे हो या बूढ़े समय और जरूरत के अनुसार टीके लगवाने में लापरवाही नहीं करनी चाहिए। हर साल अप्रैल माह का अंतिम सप्ताह यानि कि 24 से 30 अप्रैल तक हर साल विश्व टीकाकरण सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।

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विश्व टीकाकरण सप्ताह को मनाने का उद्देश्य बच्चों से लेकर बड़ों में टीकाकरण के फायदे की ओर लोगों का ध्यान खींचना है। इस दौरान टीकाकरण से रोकी जा सकने वाली बीमारियों के लिए जागरूकता फैलाने की कोशिश की जाती है। टीकाकरण से डिप्थीरिया, खसरा, काली खांसी, निमोनिया, पोलियो, रोटावायरस दस्त, रूबेला और टिटनेस जैसी लगभग 25 तरह की बीमारियों को रोका जा सकता हैं।

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि टीकाकरण जन्म के साथ से लेकर 65 साल की उम्र से अधिक लोगों को लगवाना पड़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, विश्वभर में पांच बच्चों में से एक बच्चे को महत्वपूर्ण टीका प्राप्त नहीं होता हैं। टीकाकरण को लेकर कुछ लोगों ने भ्रांतियां बन में पाल रखी है। जिसका नुकसान बीमारियों के रूप में लोगों को करना पड़ता है।


जानें टीकाकरण से जुड़ी ये बातें

  • टीकाकरण बच्चो समेत डायबीटिज और हार्ट पेशेंट के 65 साल तक के लोगों को लगता है। सभी बालिगों को हैपेटाइटस बी देना चाहिए।
  • हर दस साल बाद टिटनस टॉक्साइड का टीका लगवाना चाहिए और हर पांच साल बाद एक एक्सट्रा डोज लेनी चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को भी टीके की जरूरत पड़ती है। इससे मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं।
  • निमोनिया और फ्लू की वैक्सीनेशन एक साथ दी जा सकती है।
  • 60 से ज्यादा उम्र वालों को हरपस जोसटर की जरूरत पड़ सकती है। यह बुजुर्ग लोगों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को दिया जाता है।

जो लोग समयनुसार टीके लेते रहते हैं वे लोग अन्य लोगों की तुलना में कम बीमार पड़ते हैं। सभी टीके सुरक्षित होते हैं और इनके बेहद मामूली साइड इफेक्ट होते हैं।

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