डब्ल्यूएचओ 'गेमिंग डिसआर्डर' को मानसिक स्वास्थ्य के दायरे में शामिल करेगा
गेमिंग डिसऑर्डर को एक ऐसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या के तौर पर रखा जाएगा जिसकी निगरानी किए जाने की जरूरत है।
नई दिल्ली:
अगर आप के बच्चे वीडियो गेम्स के आदी हो रहे हैं तो सर्तक हो जाइए। जल्दी ही उनके इस व्यवहार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) मानसिक स्वास्थ्य स्थिति की श्रेणी में रख सकता है।
बीते सप्ताह की शुरुआत में आई न्यू साइंटिस्ट की रिपोर्ट के मुताबित, पहली बार डब्ल्यूएचओ गेमिंग डिसऑर्डर को रोगों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण (आईसीडी) में शामिल करने के बारे में सोच रहा है।
आईसीडी एक नैदानिक नियमावली है जिसे डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रकाशित किया जाता है, जिसे पिछली बार 27 साल पहले 1990 में अपडेट किया गया था।
नियमावली का 11वां संस्करण 2018 में प्रकाशित होना है और इसमें गेमिंग डिसऑर्डर को एक ऐसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या के तौर पर रखा जाएगा जिसकी निगरानी किए जाने की जरूरत है।
डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी 11वें संस्करण के मसौदे में गेमिंग डिसऑर्डर को स्थायी या आवर्ती खेल व्यवहार (डिजिटल गेमिंग या वीडियो गेम) के तौर पर बताया गया है, जो ऑनलाइन या ऑफ लाइन हो सकता है।
इस मसौदे में कई तरह के व्यवहारों को सूचीबद्ध किया गया है, जिससे चिकित्सक यह तय कर सकते है कि किसी व्यक्ति का व्यवहार गंभीर स्वास्थ्य समस्या की स्थिति में पहुंच गया है या नहीं।
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