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सब्जियों का आकार बढ़ाने वाली ऑक्सीटोसिन के निर्माण पर लगी रोक, केवल सरकारी कंपनी करेगी ब्रिकी

घरेलु उपयोग के लिए निजी कपंनियो के ऑक्सीटोसिन का निर्माण करने पर स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय ने रोक लगा दी है।

Updated on: 02 Jul 2018, 05:58 PM

नई दिल्ली:

घरेलू उपयोग के लिए निजी कपंनियों के ऑक्सीटोसिन बनाने पर स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय ने रोक लगा दी है। ऑक्सीटोसिन को 'लव हार्मोन' के नाम से भी जाना जाता है। जो प्रसव पीड़ा और प्रसव के दौरान गर्भाशय ग्रीवा के फैलाव के लिए महिलाओं को दिया जाता है। 

ऑक्सीटोसिन हार्मोन का डेयरी इंडस्ट्री और सब्जियों की खेती में दुरूपयोग होने लगा था जिसकी वजह से इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जा रही थी। दुधारू पशुओं में इसका इंजेक्शन लगा देने से पशु किसी भी समय दूध दे सकता है। वहीं कद्दू, तरबूज, बैंगन, लौकी और खीरे जैसी सब्जियों का आकार बढ़ाने के लिए ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है जो जानवरों और मनुष्यों के जीवन के साथ खिलवाड़ जैसा है।

अब केवल सार्वजनिक कंपनी कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फर्मास्युटिक्ल्स लिमिटेड (केएपीएल) घरेलु प्रयोगों के लिए ऑक्सीटोसिन का निर्माण कर सकती है।

विवादास्पद हार्मोन के निर्माण और बिक्री पर कुछ और नियम लाने के अलावा सरकार ने ऑक्सीटॉसिन और इसके फॉर्मूलेशन के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

मंत्रालय ने देश में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के सभी पंजीकृत अस्पतालों और क्लीनिकों को केएपीएल से संपर्क करने और कंपनी को अपना ऑर्डर देने की सलाह दी है क्योंकि दवा खुदरा कैमिस्ट या किसी अन्य निर्माता पास उपलब्ध नहीं होगा।

मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ' यह कदम डेयरी ऑपरेटरों और कुछ किसानों के ऑक्सीटॉसिन के दुरुपयोग पर रोक लगाने के प्रयास का हिस्सा है।'

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने 2016 में अपने फैसले में कहा था कि बड़े पैमाने पर गैरकानूनी निर्माण और ऑक्सीटॉसिन की बिक्री के गंभीर परिणाम होंगे जो जानवरों और मनुष्यों के लिए बेहद हानिकारक है।

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