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देश में एक-तिहाई वयस्क तंबाकू का सेवन करते हैं : गैट्स इंडिया

गैट्स इंडिया यानी ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे इंडिया के अनुसार, 2009-10 में 35 प्रतिशत यानी एक-तिहाई भारतीय वयस्क किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते पाए गए हैं।

Updated on: 26 Feb 2017, 09:01 PM

नई दिल्ली:

गैट्स इंडिया यानी ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे इंडिया के अनुसार, 2009-10 में 35 प्रतिशत यानी एक-तिहाई भारतीय वयस्क किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते पाए गए हैं। उनमें से सिर्फ 21 प्रतिशत धुआंरहित तंबाकू का सेवन करते हैं, जबकि नौ प्रतिशत धूम्रपान करते हैं, और पांच प्रतिशत धूम्रपान और धुआं रहित तंबाकू दोनों का सेवन करते हैं।

सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि 52 फीसदी वयस्क सेकेंड हैंड स्मोकिंग के भी शिकार होते हैं। तंबाकू से सेहत पर कई बुरे प्रभाव पड़ते हैं और इससे कई बीमारियां होती हैं और कई मामलों में मौत भी हो जाती है, जिन्हें रोका जा सकता है।

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) के मुताबिक, धूम्रपान से कोरनरी दिल के रोगों और स्ट्रोक का खतरा दो से चार गुना और फेफड़ों के कैंसर का खतरा 25 गुना बढ़ जाता है। इसके साथ ही यह जीवन गुणवत्ता कम कर देता है और इलाज के खर्चे बढ़ा देता है। भारत में लोगों को तंबाकू के दुष्प्रभावों, इसके सेवन को रोकने और मौतें कम करने के बारे में जागरूक करने के लिए राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम चल रहा है।

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है, 'तंबाकू नियंत्रण के कार्यक्रमों का नारा ‘तंबाकू जानलेवा’ है, इस उम्मीद के साथ अपनाया गया है कि यह धूम्रपान और अन्य तंबाकू उत्पादों के सेवन के जानलेवा प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक कर सके। अब वक्त आ गया है कि इस जागरूकता मुहिम का सुर नकारात्मक से सकारात्मक में बदला जाए।'

अग्रवाल ने कहा, 'हम अक्सर धूम्रपान छोड़ पाने में असफल रहने पर गुस्सा करते हुए कहते हैं कि अगर तुमने नहीं छोड़ा तो मर जाओगे। इस तरह की बात गलती से लोगों को निरउत्साहित कर सकती है। यह सही है कि लोगों को धूम्रपान और तंबाकू के सेवन के खतरों के बारे में बताना आवश्यक है, लेकिन सकारात्मक तरीका अलोचनात्मक तरीके से ज्यादा कारगर साबित हो सकता है।'

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उन्होंने कहा, 'हिंसक संचार के तीन पहलू हैं -निंदा करना, आलोचना करना और शिकायत करना। इसके बजाए अहिंसक तरीके अपना कर अपने मरीज की धूम्रपान छोड़ने में मदद और सहयोग करें। आपका जो मरीज धूम्रपान या तंबाकू छोड़ने की कोशिश कर रहा है, उसे कहें- थैंक यू फोर नोट स्मोकिंग।'

उन्होंने कहा, 'मरीज के परिश्रम और लगातार कोशिश की डॉक्टर द्वारा प्रशंसा करना बेहद महत्वपूर्ण होता है। उसे पता चलता है कि उसे सहयोग मिल रहा है और वह ज्यादा विश्वास और भरोसा करता है। अगर जीवनशैली में बदलाव हमदर्दी और सहयोगी तरीके से कराई जाए तो इनके सफलता से लागू होने की संभावना ज्यादा होती है।'

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इन बातों पर करें गौर 

-धूम्रपान छोड़ने का इरादा बनाएं। वादा करें, एक दिन निश्चित करें और इस पर अमल करें।

-धूम्रपान की इच्छा पांच मिनट तक रह सकती है। इससे बचने के लिए उन पांच मिनटों में आप क्या-क्या कर सकते हैं, की सूची बनाएं।

-पांच मिनट की सैर, जॉगिंग या कसरत भी इस इच्छा को रोकने में मदद करती है।

-लोगों से मेल-जोल या समारोह आदि के समय धूम्रपान न करने वालों के आसपास रहे।

-आपने धूम्रपान छोड़ने का फैसला जिस सोच के साथ किया, उसे बार-बार याद करते रहें।

-धूम्रपान छोड़ने के अपने कारणों की एक सूची बनाएं और आवश्यकता पड़ने पर इसे पढ़ें।

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