भारत में 5 साल से छोटे 58 फीसदी बच्चे एनिमिया से ग्रसित: सर्वे
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 5 साल की आयु से छोटे 58 फीसदी बच्चे एनीमिया से ग्रसित है।
highlights
- 5 साल की आयु से छोटे 58 फीसदी बच्चे एनीमिया से ग्रसित
- 38 फीसदी बच्चे नाटे, 21 फीसदी कमजोर और 36 फीसदी अंडरवेट
- 2015-16 के दौरान छ: लाख घरों पर किये गये सर्वे में गरीबी को बताया सबसे बड़ा
नई दिल्ली:
हाल ही में हुए सर्वे ने भारत के एक कड़वा सच को फिर से उजागर कर दिया। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 5 साल की आयु से छोटे 58 फीसदी बच्चे एनीमिया से ग्रसित है। खून में हीमोग्लोबिन की कमी पीड़ित इन बच्चों में थकान इंफेक्शन के साथ साथ दिमागी विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
ये सर्वे 2015-16 के दौरान छ: लाख घरों पर किया गया। 38 फीसदी बच्चे नाटे, 21 फीसदी कमजोर और 36 फीसदी अंडरवेट है। 2005-06 से हुए सर्वेक्षण बच्चों के सेहत में अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार के हिसाब से सुधार हुआ है। कुपोषण का सबसे बड़ा कारण गरीबी है। भारत में गरीबी का स्तर अभी भी बहुत ऊंचा है। इसमें सुधार भी बहुत धीरे से हो रहा है।
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2011 के जनगणना आंकड़ों के आधार के अनुसार 2015 में 12.4 करोड़ बच्चे 5 साल की आयु के भीतर माने जाते है। जिसमें 7.2 करोड़ बच्चें एनीमिया ग्रस्त, करीब 5 करोड़ बच्चे नाटे , 2.6 करोड़ कमजोर, 4.4 फीसदी अंडरवेट है। ये संख्या 2005-06 के आंकड़ों से बहुत अलग नहीं है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इन आंकड़ों का उच्च स्तर 'गरीब सामाजिक-आर्थिक स्थिति' और 'उपेष्टतम स्वास्थ्य और / या पोषण की स्थिति' की ओर साफ इशारा करते है। सीधे शब्दों में इसका मतलब है कि खाने की कमी, अस्वस्थ रहने की स्थिति और खराब स्वास्थ्य डिलीवरी सिस्टम के कारण आंकड़ों में इस तरह इजाफा होता जा रहा है।
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