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इस नैनो-टेक्नॉलजी टेस्ट से मिनटों में लगेगा जीका वायरस का पता

जीका वायरस का पता लगाना अब आसान हो जाएगा। वैज्ञानिकों ने एक नैनो-टेक्नॉलजी बेस्ड टेस्ट का ईजाद किया है जो खून में जीका वायरस का पता लगाने में मदद करेगा।

Updated on: 12 Aug 2017, 09:06 PM

नई दिल्ली:

जीका वायरस का पता लगाना अब आसान हो जाएगा। वैज्ञानिकों ने एक नैनो-टेक्नॉलजी बेस्ड टेस्ट का ईजाद किया है जो खून में जीका वायरस का पता लगाने में मदद करेगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि ये टेस्ट अन्य संक्रामक बीमारियों का पता लगाने में भी मदद कर सकता है। वैज्ञानिको की इस टीम में एक भारतीय मूल का सदस्य भी शामिल है।

फिलहाल जीका वायरस का पता लगाने के लिए खून के नूमने को रेफ्रिजरेट कर मेडिकल सेंटर में भेजना होता है, जो इलाज में देरी करता है। हालांकि, नया टेस्ट, ज़ीका वायरस से बनने वाले प्रोटीन पर निर्भर करत है जो संक्रमित व्यक्तियों में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का कारण बनता है।

हालांकि, नया टेस्ट, ज़ीका वायरस से बनने वाले प्रोटीन पर निर्भर करता है जो संक्रमित व्यक्तियों में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का कारण बनता है, जो तब कागज के एक टुकड़े पर लगाए गए छोटे सोने के नैनोरोड्स से जुड़ा होता है।

कागज तो पूरी तरह से छोटे, सुरक्षात्मक नैनोक्रिस्टल के साथ कवर किया हुआ होता है। नैनोक्रिस्टल नैनोरोड्स को बिना रेफ्रिजरेट कर भेजा जा सकता है।

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सेंट लुईस में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर श्रीकांत सिंगमाननी ने कहा,' अगर किसी टेस्ट के लिए इलेक्ट्रिसिटी और रेफ्रिजरेट की जरूरत पड़े तो ये
किसी संसाधन-सीमित सेटिंग में उपयोग करने के लिए कुछ विकसित करने के उद्देश्य को खत्म करता है, खासतौर में विश्व के ट्रॉपिकल इलाकों में।' उन्होंने कहा कि हम टेस्ट को तापमान और नमी में बदलावों से सुरक्षित करना चाहते थे।

जब नैनोरोड पर लगाए गए पेपर पर मरीज के खून का एक बूंद लगाया जाता है, तो रक्त में इम्युनोग्लोबुलिन प्रोटीन के साथ प्रतिक्रिया करेगी, अगर मरीज विषाणु के संपर्क में आये और एक रंग परिवर्तन प्रदर्शित करता है।

इस टेस्ट के नतीजे के साथ मरीज को इलाज के लिए क्लीनिक जाने से पहले तत्कालीन उपचार देने में आसानी होती है। ये शोध जर्नल एडवांस बायोसिस्टम में प्रकाशित हुई है।

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