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अनिद्रा के शिकार लोगों में बढ़ सकता है स्ट्रोक का खतरा

टेक्नोलॉजी की दुनिया में रात-रात तक मोबाइल और कंप्यूटर का इस्तेमाल सीधा असर आपकी नींद पर डाल सकता है।

Updated on: 12 Jun 2017, 09:39 AM

नई दिल्ली:

आजकल की भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी में हर कोई अपने स्वास्थ्य को लेकर लापरवाह हो गया है। हम अक्सर अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते और नजरअंदाज करते है। टेक्नोलॉजी की दुनिया में रात-रात तक मोबाइल और कंप्यूटर का इस्तेमाल सीधा असर आपकी नींद पर डाल सकता है। नींद पूरी न लेने से दिल से संबंधी रोग होने का खतरा बड़ जाता है जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है।

एक अध्य्यन के मुताबिक नींद की बीमारी जैसे अनिद्रा और स्लीप एपनिया से ग्रस्त लोगों को स्ट्रोक आने की संभावना उन लोगों से ज्यादा है जो कि सामान्य नींद लेते है। निष्कर्षों के मुताबिक जिन लोगों स्ट्रोक का शिकार हो चुके है, जिसे क्षणिक इस्कीमिक हमला (Transient Ischemic Attack) कहा जाता है, उन्हें नींद विकारों के लिए जांचा गया।

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जर्मनी में यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल एसेन के अध्ययन लेखक डीर्क हरमन ने कहा, 'स्ट्रोक के बाद नींद की बीमारियां आम होती हैं, लेकिन बहुत कम स्ट्रोक रोगियों का परीक्षण उनके लिए किया जाता है।'

उन्होंने कहा, परिणामों के रिजल्ट बताते है की नींद संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोग में एक स्ट्रोक या अन्य नकारात्मक परिणाम होने की संभावना हो सकती है, जैसे अस्पताल छोड़ने के बाद नर्सिंग होम में जाना पड़ता है।

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ये निष्कर्ष 'न्यूरोलॉजी' जर्नल में ऑनलाइन प्रकाशित हुए है जो कि साहित्य समीक्षा पर आधारित हैं। नींद की विकार आम तौर पर दो श्रेणियों में होता है - सोते वक्त सांस लेते हुए दिक्क्त और सोते हुए अचानक से उठ जाना।

शोधकर्ताओं ने कहा, 'सोते समय बार-बार उठने से स्ट्रोक होना का खतरा बड़ जाता है हालांकि इसे साबित करने के लिए कम सबूत है।

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