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बच्चों में मोटापा रोकना जरूरी, जानें क्या है उपाय

एक दिन में 80 एमएल से ज्यादा सॉफ्ट ड्रिंक न पिएं। 30 प्रतिशत से ज्यादा चीनी वाली मिठाइयां न खाएं।

Updated on: 25 Mar 2017, 07:08 PM

नई दिल्ली:

भारत मेटाबॉलिक सिंड्रोम की महामारी का सामना कर रहा है, जिसे पेट का मोटापा, हाईट्रिग्लिसाइड, अच्छे कोलेस्ट्रॉल की कमी, हाई ब्लडप्रेशर और हाई शुगर से मापा जाता है। पेट का घेरा अगर पुरुषों में 90 सेंटीमीटर से ज्यादा और महिलाओं में 80 सेंटीमीटर से ज्यादा हो, तो भविष्य में होने वाले दिल के दौरे की संभावना का संकेत होता है।

सामान्य वजन वाला मोटापा एक नई गंभीर समस्या बन के उभरा है। कोई व्यक्ति तब भी मोटापे का शिकार हो सकता है, जब उसका वजन सामान्य सीमा के अंदर हो। उम्र और लिंग के अनुपात में बच्चों का बीएमआई अगर 95 फीसदी से ज्यादा हो तो उसे मोटापा माना जाता है। पेट के गिर्द एक इंच अतिरिक्त चर्बी दिल के रोगों की आशंका डेढ़ गुना बढ़ा देती है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल ने बताया, 'आम तौर पर जब कद बढ़ना रुक जाता है, तो ज्यादातर अंगों का विकास भी थम जाता है। दिल, गुर्दे या जिगर इसके बाद नहीं बढ़ते। कुछ हद तक मांसपेशियां ही बनती हैं। इसके बाद वजन बढ़ने की वजह केवल चर्बी जमा होना ही होता है। इसलिए युवावस्था शुरू होने के बाद वजन चर्बी की वजह से बढ़ता है।'

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डॉक्टर ने कहा, 'वैसे तो संपूर्ण वजन स्वीकृत दायरे में हो सकता है, लेकिन उसके बाद उसी दायरे के अंदर किसी का वजन बढ़ना असामान्य माना जाता है। पुरुषों में 20 साल और महिलाओं में 18 साल के बाद किसी का वजन पांच किलो से ज्यादा नहीं बढ़ना चाहिए। 50 साल की उम्र के बाद वजन कम होना चाहिए ना कि बढ़ना चाहिए।'

अग्रवाल कहते हैं, 'पेट का मोटापा जीवों के फैट से नहीं, बल्कि रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स खाने से होता है। रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स में सफेद चावल, मैदा और चीनी शामिल होते हैं। भूरी चीनी सफेद चीनी से बेहतर होती है।'

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डॉक्टर ने आगे कहा, 'ट्रांस फैट या वनस्पति सेहत के लिए बुरे हैं। यह बुरे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है और शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।'

बच्चों में मोटापा आगे चल कर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल का कारण बनता है। 70 प्रतिशत मोटापे के शिकार युवाओं को दिल के रोगों का एक खतरा होता ही है। बच्चे और किशोर जिनमें मोटापा है, उन्हें जोड़ों और हड्डियों की समस्याएं, स्लीप एप्निया और आत्म-विश्वास में कमी जैसी मानसिक समस्याएं होने का ज्यादा खतरा होता है।

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बच्चों में मोटापा रोकने के उपाय:

* हफ्ते में एक दिन कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन न करें।

* कड़वे और मीठे फल मिलाकर खाएं जैसे आलू, मटर की जगह आलू मेथी बनाएं।

* रोजाना सैर करें और हल्की एक्सरसाइज करें।

* करेले, मेथी, पालक, भिंडी जैसी हरी कड़वी चीजें खाएं।

* वनस्पति और घी न खाएं।

* एक दिन में 80 एमएल से ज्यादा सॉफ्ट ड्रिंक न पिएं।

* 30 प्रतिशत से ज्यादा चीनी वाली मिठाइयां न खाएं।

* सफेद चावल, मैदा और चीनी से परहेज करें।

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