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World Mental Health Day 2017: बचपन का मोटापा जीवन भर के लिए डिप्रेशन का बन सकता है कारण

अगर आपका बच्चा अधिक वजनी है या कम उम्र से ही मोटापे से पीड़ित है तो सावधान हो जाएं क्योंकि कम उम्र का मोटापा जीवन भर के लिए डिप्रेशन का कारण बन सकता है।

Updated on: 10 Oct 2017, 03:59 PM

नई दिल्ली:

छोटी उम्र से ही नियमित दिनचर्या का पालन करने के बहुत से फायदे हैं। आजकल की बदलती जीवनशैली के कारण बड़ों से लेकर बच्चों तक की सेहत पर नुकसान पहुंच रहा है।

अगर आपका बच्चा अधिक वजनी है या कम उम्र से ही मोटापे से पीड़ित है तो सावधान हो जाएं क्योंकि कम उम्र का मोटापा जीवन भर के लिए डिप्रेशन का कारण बन सकता है।

एक नए शोध में अध्ययन कर्ताओं ने पाया है कि आठ और 13 साल की आयु में मोटापा जीवन की किसी अवधि में डिप्रेशन के विकास के तीन गुना जोखिम से संबंधित है।

शोध के दौरान पता चला कि बच्चे और एक वयस्क के रूप में जीवन की दोनों अवधियों में इस रोग से ग्रस्त रहने वालों को केवल वयस्कावस्था में इस समस्या का सामना करने वालों की तुलना में डिप्रेशन होने की चौगुनी संभावना होती है।

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व्रीजे यूनिवसिर्टी एम्सटरडम के देबोराह गिब्सन-स्मिथ ने बताया, 'हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि कुछ मौलिक चीजें बचपन के अधिक वजन या मोटापा को अवसाद से जोड़ती हैं। आनुवांशिक जोखिम या आत्मसम्मान की कमी भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है जो अक्सर उन लोगों में होती है जो आदर्श शरीर के प्रकार के अनुरूप नहीं होते हैं।'

इस शोध के लिए अध्ययनकर्ताओं के दल ने 889 प्रतिभागियों का आकलन किया था।

यह निष्कर्ष पुर्तगाल में आयोजित यूरोपियन कांग्रेस ऑन ओबेसिटी कार्यक्रम में प्रस्तुत किया गया था।

हाल ही WHO के ताजा अनुमानों के मुताबिक दुनियाभर में 30 करोड़ से अधिक लोग डिप्रेशन से ग्रस्त हैं।

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WHO ने विश्व स्वास्थ्य दिवस से पहले अनुमानों को जारी करते हुए कहा, 'ये आंकड़ें सभी देशों के लिए एक चेतावनी है कि वे मानसिक स्वास्थ्य के बारे में दोबारा सोचें और तुरंत इसका समाधान निकालें।'

WHO के मुताबिक डिप्रेशन से ग्रस्त लोगों की संख्या 2005 से 2015 के दौरान 18 फीसदी से अधिक बढ़ी है।

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