logo-image

केंद्र सरकार का निर्देश, परीक्षण के बाद ही बाज़ार में लॉन्च की जाएं दवाईयां

पीएम मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार जेनरिक दवाओं के लिए कानून बनाएगी। साथ ही सस्ती दवाओं और इलाज के लिए भविष्य में कई कदम उठाए जाएंगे।

Updated on: 23 Apr 2017, 08:51 AM

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने निर्देश दिया है कि परीक्षण करने के बाद ही दवाईयों को भारतीय बाजार में लॉन्च किया जाए। साथ ही टेस्ट के दौरान जेनरिक दवाओं की गुणवत्ता की जांच भी जरूर की जाए। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि जैव-समानता अध्ययन या परीक्षण के जरिए अब सभी जेनरिक दवाओं की जांच होगी।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर बताया है कि जैव-समानता अध्ययन इंसानों पर किया जाता है। इसके जरिए यह पता लगाया जाता है कि ब्लड में दवाईयों का कितना प्रभाव पड़ रहा है। अगर दो उत्पादों के जैव एक समान हैं तो इसका मतलब है कि उनकी क्वालिटी भी एक ही है। 

ये भी पढ़ें: कॉम्बिफ्लेम, डी कोल्ड टोटल समेत 58 दवाएं सीडीएससीओ के टेस्ट में फेल, सेहत को पहुंचा सकती है नुकसान

पीएम मोदी ने की थी घोषणा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद यह कदम उठाया जा रहा है। गौरतलब है कि पीएम मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार जेनरिक दवाओं के लिए कानून बनाएगी। साथ ही सस्ती दवाओं और इलाज के लिए भविष्य में कई कदम उठाए जाएंगे।

ब्रांडेड दवाईयां लिखते हैें डॉक्टर

डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर (एमएसएफ) की ओर से चलाए जा रहे 'एक्सेस' कैंपेन की दक्षिण एशिया प्रमुख लीना मेंघाने ने कहा कि जेनरिक दवाओं से मरीजों को फायदा होगा। कुछ डॉक्टरों का कहना है कि ब्रांडेड दवाईयों की क्वालिटी जेनरिक दवाओं की तुलना में ज्यादा अच्छी होती है। इसी वजह से ज्यादातर डॉक्टर मरीजों को ब्रांडेड दवाएं लिखते हैं, लेकिन यह बहुत महंगी होती हैं।

ये भी पढ़ें: पीएम मोदी का बड़ा ऐलान, सस्ती दवाओं के लिए कानून बनाएगी सरकार

हालांकि अब सूचना जारी होने के बाद किसी भी ब्रांडेड दवा को भारतीय बाजार में उतरने से पहले टेस्ट और मानकों पर खरा उतरना होगा। लीना मेंघाने ने कहा, 'हम भारत में जैव-समानता अध्ययन करेंगे और लाइसेंस देने से पहले डाटा के आधार पर क्वालिटी की जांच करेंगे।'

जांच में खरी नहीं उतरीं कई दवाईयां

हाल ही में सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने बताया था कि कॉम्बिफ्लेम, डी कोल्ड समेत 58 अन्य पेन किलर अपने रेगुलेटर टेस्ट में फेल हो गई हैं। ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक ये घटिया क्वालिटी की दवाएं है। इसके अलावा, सिप्ला के ऑफलाक्स -100 डीटी टैबलेट्स और थियो अस्थिलिन टैबलेट्स, साथ ही कैडिला की कैडिलोज भी जांच में खरी नहीं उतरी है।

ये भी पढ़ें: IMA की अपील, नकली दवाओं को रोकने के लिए बने सख्त कानून

(IPL 10 की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)