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गुजरात चुनाव: 'हार्दिक' पर बंटा पटेल समुदाय, किसको मिलेगा फायदा ?

नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर पिछले कुछ सालों में गुजरात की राजनीति को हिला देने वाले पाटीदार युवाओं के बीच उनके नेता हार्दिक पटेल के नाम पर इस विधानसभा चुनाव में वोट बंटता हुआ दिख रहा है।

Updated on: 10 Dec 2017, 11:07 PM

highlights

  • हार्दिक पटेल के नाम पर बंटा पाटीदार समुदाय
  • गावों में हार्कि के साथ पटेल समुदाय, शहर में बीजेपी के करीब पाटीदार

अमरेली:

नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर पिछले कुछ सालों में गुजरात की राजनीति को हिला देने वाले पाटीदार युवाओं के बीच उनके नेता हार्दिक पटेल के नाम पर इस विधानसभा चुनाव में वोट बंटता हुआ दिख रहा है।

जहां ग्रामीण इलाकों में हार्दिक को युवाओं का जोरदार समर्थन मिल रहा है, वहीं शहरी क्षेत्र के युवा उनको लेकर उतने उत्साही नहीं हैं। मेहसाना, अमरेली, वडोदरा और सूरत जैसे पाटीदार बहुल इलाकों में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को लेकर समुदाय में मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली।

ग्रामीण इलाकों के युवा जहां हार्दिक के प्रबल समर्थक हैं, वहीं शहरी क्षेत्र के युवा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और हार्दिक की अगुआई में राज्य में समृद्ध और जमींदार रहे पटेलों के लिए आरक्षण की मांग करने वाली पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) के बीच बंटे हुए हैं।

पाटीदार समुदाय और बीजेपी, दोनों के गढ़ रहे मेहसाना में मेडिकल की दुकान चलाने वाले दीपक पटेल का कहना है कि समुदाय के गरीब परिवारों को आरक्षण की जरूरत है।

यह बताने पर कि आरक्षण के लिए संविधान में ऊपरी सीमा 50 फीसदी तय है, ऐसे में कोई सरकार कैसे पाटीदारों को आरक्षण दे सकती है? इस सवाल पर वह कहते हैं कि कुछ न कुछ रास्ता तो निकलेगा। अगर वे कुछ रास्ता नहीं निकालेंगे तो आगे आने वाले चुनावों में वे इसका परिणाम भुगतेंगे।

मेहसाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह जिला है और गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल विधानसभा में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। नितिन को इस बार यहां कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व सांसद जीवा भाई पटेल से कड़ी चुनौती मिल रही है।

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सूरत में पाटीदार समुदाय के युवक अमित पटेल ने कहा, 'अनामत मिले ना मिले, भाई तो भाई का ही फेवर करेगा।'

हालांकि परवेज पटेल और चिराग पटेल जैसे युवा भी हैं, जिनको आरक्षण की कोई परवाह नहीं है।

वडोदरा के चार्टर्ड अकाउंटेंट परवेज पटेल ने कहा, 'यहां पाटीदार लोग समृद्ध हैं। समुदाय के अधिकांश लोगों का अपना व्यवसाय है और वे शिक्षा को तवज्जो नहीं देते हैं। वे व्यवसाय को प्राथमिकता देते हैं। ऐसे में उनके लिए आरक्षण का सवाल कहां है?'

सूरत के व्यवसायी चिराग पटेल ने कहा, 'हम सुरक्षा चाहते हैं और बीजेपी हमें सुरक्षा दे रही है। जीएसटी को लेकर हमें काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा, लेकिन उसमें भी संशोधन के उपाय किए जा रहे हैं। इससे हमें और देश को भी लंबी अवधि में फायदा होगा।'

बीजेपी को लेकर रोष और नाराजगी के बावजूद परवेज और चिराग जैसे बहुत सारे लोग हैं, जिन्हें खौफ है कि हाथ से सत्ता फिसलने पर बौखलाहट में यह पार्टी खून-खराबे पर न उतर आए। उन्होंने कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए भाजपा को वोट देने का संकल्प लिया है, क्योंकि उनको लगता है कि बीजेपी के हारने पर वे खुद को असुरक्षित महसूस करेंगे।

मेहसाना, सूरत और अमरेली के कई विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी और पाटीदारों के बीच जबरदस्त मुकाबला देखा जा रहा है।

पाटीदारों में विभिन्न उपजातियां भी हैं, जिनमें लेउवा और कदवा का वर्चस्व है। ये दोनों खुद को भगवान राम के पुत्र लव और कुश के वंशज मानते हैं।

चूंकि हार्दिक पटेल कदवा पटेल हैं, इसलिए वह उनको संगठित करने में कामयाब रहे हैं। उन्होंने कई गांवों में पाटीदार युवाओं की कमेटियां बनाई हैं।

सौराष्ट्र में उत्तर से दक्षिण तक कई सीटों पर पाटीदारों का प्रभाव है और पिछले चुनाव में यहां बीजेपी को जबरदस्त बहुमत मिला था, लेकिन इस बार समुदाय के कई प्रमुख लोग हार्दिक के साथ खड़े हैं, जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है।

सौराष्ट्र स्थित अमरेली इलाके के सरदार सर्कल पर एक चाय की दुकान पर बातचीत के दौरान बी.कॉम का छात्र पारीक सोहालिया ने दावे के साथ कहा कि कांग्रेस उम्मीदवार परेश धनानी की जीत सुनिश्चित है, क्योंकि उनको पाटीदारों का समर्थन प्राप्त है।

उन्होंने कहा, "परेश भाई ने कई विकासपरक कार्य किए हैं। उन्होंने बीजेपी के पुरुषोत्तम रूपाला और दिलीप भाई संघानी जैसे मंत्रियों को हराया है। इस बार यहां बीजेपी के उम्मीदवार की जमानत जब्त होगी।'
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लेकिन पाटीदार समुदाय के ही बालजी भाई ने उनके दावे का प्रतिकार किया। उन्होंने कहा, 'मेरे साथ आइए। मैं आपको अमरेली का विकास दिखता हूं।

भूमिगत नाले की परियोजना अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। सड़कों पर खड्ढे भरे-पड़े हैं, जिसके चलते इलाके के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।'

हार्दिक पटेल फैक्टर के बारे में पूछने पर बालजी ने कहा कि 'वह कौड़ी भर भी नहीं है।' कांग्रेस ने गांधीजी के तीन बंदर की तरह हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश को अपने साथ लिया है।

बीजेपी ने पाटीदार और पूर्व कांग्रेस नेता भावकू भाई उन्धव को चुनाव मैदान में उतारा है, जिन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थामा था।

लाथी विधानसभा से निवर्तमान विधायक हैं। साथ ही, पूर्व कृषिमंत्री संघानी धारी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ रहे हैं। रूपाला नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री हैं।

दूसरे चरण का मतदान 14 दिसंबर को है। नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे। गुजरात चुनाव के कारण ही हिमाचल प्रदेश में मतगणना एक महीने से रुकी हुई है, जो इसी दिन होगी।

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