अब गर्मियों में भी शान से पहनिए बनारसी साड़ियां
बंधेज साड़ी जिसे बांधनी साड़ी के नाम से भी जाना जाता है। वह विशेष रूप से राजस्थान और गुजरात में मिलती है। इन साड़ियों की अच्छी किस्में मांडवी, भुज, जामनगर, पोरबंदर, अजमेर, बीकानेर आदि में बनाई गई हैं।
नई दिल्ली:
एथनिक परिधानों का फैशन कभी नहीं जाता है। इन एथनिक परिधानों को गर्मियों में भी शान से पहना जा सकता है। बनारसी साड़ी भारत में बेहद लोकप्रिय हैं। इसे सोने और चांदी के ब्रोकेड या जरी के काम के लिए जाना जाता है।
इसे ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन स्टोर वीवरस्टोरी 10 और 11 अप्रैल को दिल्ली में स्थित आगा खान हॉल, मंडी हाउस में हाथों से बुनकर तैयार किए गए नए 'बानारसी समर कलेक्शन' को पेश करेगा। यह कलेक्शन वीवर स्टोरी की आधिकारिक वेबसाइट 'डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट वीवर स्टोरी डॉट कॉम' पर भी प्रदर्शित किया जाएगा।
प्रदर्शनी में वीवरस्टोरी द्वारा नए चंदेरी सिल्क, बनारसी कॉटन्स, बंधेज साड़ी, दुपट्टा, लहंगा और चंदेरी के साथ रेडी टू वियर सूट भी प्रदर्शित किये जाएंगे।
चंदेरी एक पारंपरिक एथनिक कपड़ा है, जिसे पहनने से शानदार अनुभव होता है। चंदेरी कपड़े पारंपरिक रेशम के धागे और सोने के जरी के काम से तैयार होता है।
बंधेज साड़ी जिसे बांधनी साड़ी के नाम से भी जाना जाता है। वह विशेष रूप से राजस्थान और गुजरात में मिलती है। इन साड़ियों की अच्छी किस्में मांडवी, भुज, जामनगर, पोरबंदर, अजमेर, बीकानेर आदि में बनाई गई हैं।
इस संग्रह के कुछ आकर्षण रहेंगे कूल बनारस कॉट्सन्स, हैंडब्लॉक मुद्रित अनारकली सेमीस्टिच्ड सूट, नई रेंज के बनारसी मूंगा सिल्क कुर्ता विद कड़वा मीनाकारी बूटा और चंदेरी सिल्क दुपट्टा आदि।
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