मानसून में पैरों फंगल इंफेक्शन का रहता है खतरा, यूं करें देखभाल
आप कुछ साधारण सावधानियों तथा आयुर्वेदिक उपचारों से पांव तथा उंगलियों के संक्रमण से होने वाले रोगों से बच सकते हैं।
नई दिल्ली:
मानसून सीजन में कीचड़ से सने रास्तों, पानी से लबालब गलियों, आद्र्रता भरे ठंडे वातावरण तथा सीलन में पैरों को काफी झेलना पड़ता है। जूतों के चिपचिपे होने के कारण पैरों में दाद, खाज, खुजली तथा लाल चकत्ते पड़ जाते हैं।
सौंदर्य विशेषज्ञ शहनाज हुसैन ने कहा कि मानसून के सीजन में पैरों के देखभाल की अत्याधिक आवश्यकता होती है। आप कुछ साधारण सावधानियों तथा आयुर्वेदिक उपचारों से पांव तथा उंगलियों के संक्रमण से होने वाले रोगों से बच सकते हैं।
मॉनसून में पांवों की देखभाल के लिए घरेलू उपचार :
फुटवियर का रखें ध्यान: अगर आप बंद जूते पहनते हैं तो जूतों के अंदर टेलकम पाउडर का छिड़काव कीजिए। बरसात के मौसम के दौरान स्लिपर तथा खुले सैंडिल पहनना ज्यादा उपयोगी होता है, क्योंकि इससे पांवों में हवा लगती रहती है तथा पसीने को सूखने में भी मदद मिलती है, लेकिन खुले फुटवियर की वजह से पैरों पर गंदगी तथा धूल जम जाती है, जिससे पांवों की स्वच्छता पर असर पड़ता है।
फूट सोक : बाल्टी में एक चौथाई गर्म पानी, आधा कप खुरखुरा नमक, दस बूंदे नीबू रस या संतरे का सुंगधित तेल डालिए। यदि आपके पांव में ज्यादा पसीना निकलता है तो कुछ बूंदें टी-ऑयल को मिला लीजिए, क्योंकि इसमें रोगाणु रोधक तत्व मौजूद होते हैं तथा यह पांव की बदबू को दूर करने में मदद करती है। इस मिश्रण में 10-15 मिनट तक पांवों को भिगोकर बाद में सुखा लीजिए।
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फुट लोशन : 3 चम्मच गुलाब जल, 2 चम्मच नींबू जूस तथा एक चम्मच शुद्ध ग्लिसरीन का मिश्रण तैयार करके इसे पांव पर आधा घंटा तक लगाने के बाद पांव को ताजे साफ पानी से धोने के बाद सुखा लीजिए।
ड्राइनेस फुट केयर : एक बाल्टी के चौथाई हिस्से तक ठंडा पानी भरिए तथा इस पानी में दो चम्मच शहद एक चम्मच हर्बल शैम्पू, एक चम्मच बादाम तेल मिलाकर इस मिश्रण में 20 मिनट तक पांव भिगोइए तथा बाद में पांव को ताजे स्वच्छ पानी से धोकर सुखा लीजिए।
कूलिंग मसाज आयल : 100 मिली लीटर जैतून तेल, 2 बूंद नीलगरी तेल, 2 चम्मच रोजमेरी तेल, 3 चम्मच खस या गुलाब का तेल मिलाकर इस मिश्रण को एयरटाइट गिलास जार में डाल लीजिए। इस मिश्रण को प्रतिदिन पांव की मसाज में प्रयोग कीजिए। इससे पांवों को ठंडक मिलेगी और यह त्वचा को सुरक्षा प्रदान करके इसे स्वस्थ्य रखेगा।
बरसात के गर्म तथा आद्र्रता भरे मौसम में पांवों की गीली त्वचा की वजह से 'एथलीट फूट' नामक बीमारी पांवों को घेर लेती है। यदि प्रारंभिक तौर पर इसकी उपेक्षा हो तो यह पांवों में दाद, खाज, खुजली जैसी गंभीर परेशानियों का कारण बन जाती है। यह बीमारी फंगस संक्रमण की वजह से पैदा होती है। इसलिए अगर उंगलियों में तेज खारिश पैदा हो रही हो, तो तत्काल त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लीजिए।
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