MP Election: मध्य प्रदेश में भाजपा की बढ़त के ये हैं पांच बड़े कारण
मगर बीते कुछ वक्त से प्रदेश की राजनीति में कुछ ऐसा उलटफेर हुआ, जिससे एक बार फिर से मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार जश्न का स्वाद चखने जा रही है... ऐसे में हम यहां आपको भाजपा की इस बढ़त के पीछे ऐसे ही पांच कारण बताने जा रहे हैं...
नई दिल्ली:
आज फैसले का दिन है... मध्यप्रदेश में वोटों की काउंटिंग भी जारी है. ऐसे में सूबे की सियासी गद्दी पर किसका राज होगा, ये तो शाम तक मालूम हो ही जाएगा. मगर इसी बीच जिस तरह वोट काउंटिंग के रुझान आ रहे हैं, स्थिति काफी हद तक साफ है कि एक बार फिर प्रदेश में भाजपा सरकार आने वाली है. ऐसे में सवाल है कि आखिर क्यों कांग्रेस पार्टी तमाम दावों-वादों के बावजूद भी सत्ता में वापसी नहीं कर पाई? क्या शिवराज सिंह चौहान का चेहरा, इस बार कमलनाथ पर हावी हो गया. इसके साथ ही, सीएम शिवरात की तरफ से प्रदेश की करीब 160 में प्रचार के लिए पहुंचे थे, जहां उन्होंने तमाम रोड शो और रैलियों में अपनी सरकार समेत, केंद्र की कई योजनाओं के काम को काफी तवज्जो दी. मगर बीते कुछ वक्त से प्रदेश की राजनीति में कुछ ऐसा उलटफेर हुआ, जिससे एक बार फिर से मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार जश्न का स्वाद चखने जा रही है... ऐसे में हम यहां आपको भाजपा की इस बढ़त के पीछे ऐसे ही पांच कारण बताने जा रहे हैं...
1. मोदी मैजिक
हालांकि मध्य प्रदेश की सियासी जंग को कांग्रेस और भाजपा में आमने-सामने टक्कर का दावा किया जा रहा था, मगर अब जब वक्त काउंटिंग का है, तो स्थिति कुछ और ही बयां कर रही है. दरअसल राज्य में भाजपा की इस कदर हावी बढ़त के पीछे एक मुख्य वजह है मोदी मौजिक. जी हां... मोदी का नाम और काम एक बार फिर राज्य की जनता को लुभाने में काफी ज्यादा मददगार रहा. शिवराज के काम और पहचान अपना खेल कर रहे थे, मगर बैकहैंड कहीं न कहीं सूबे की जनता को मोदी पर विश्वास था. यही वजह रही कि एक बार फिर मोदी ने मध्य प्रदेश में फतह दिला दी.
2. गुटबाजी से दूर रही भाजपा
मध्य प्रदेश में भाजपा की इस बढ़त के पीछे एक वजह पार्टी की गुटबाजी से दूरी भी है. असल में चूनावी मौसम से ठीक पहले, प्रदेश की भाजपा में तमाम तरह के सियासी उलटफेर देखने को मिली, जहां खुद शिवराज और भाजपा अलहदा पेश आए. उस वक्त राजनीतिक जानकारों का आंकलन था कि इसका नतीजा पार्टी में गुजबाजी के तौर पर देखने को मिलेगा. हालांकि ऐसा हुआ नहीं, बल्कि उल्टा सीएम शिवराज ने पार्टी को लेकर कोई उलट-पुलट बयान नहीं दिया, उनका हर एक बयान बिल्कुल संभलकर औऱ नापतोल कर दिया हुआ था. इसी वजह से पार्टी को नुकसान नहीं, बल्कि फायदा हुआ.
3. भाजपा ने केंद्रीय मंत्रियों को उतारकर कर दिया बड़ा खेल
मध्य प्रदेश में सियासी सफलता के लिए पार्टी का सबसे बड़ा कार्ड था 7 सांसदों-केंद्रीय मंत्रियों को चुनावी मैदान में उतारना. मध्य प्रदेश में बीजेपी ने सितंबर माह में तीन केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते को विधानसभा कैंडिडेट घोषित किय, साथ ही सांसद राकेश सिंह, गणेश सिंह, राव उदय प्रताप सिंह, रीति पाठक को भी विधानसभा का टिकट दिया. साथ ही संगठन के बड़े चेहरे कैलाश विजयवर्गीय पर प्रदेश की राजनीति में उतारा.
4. कमजोर विपक्ष
मध्य प्रदेश में भाजपा की इस कदर बढ़त का एक और कारण है विपक्ष की कमजोरी. दरअसल जहां एक तरफ भाजपा पूरे दमखम से पार्टी के प्रचार-प्रसार में जुटी हुई थी, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस उसके सामने काफी कमजोर नजन आ रही थी. इस वक्त पर कांग्रेस को ज्यादा से ज्यादा सक्रिय होकर भाजपा को कड़ी टक्कर देनी थी, मगर वो ऐसा करने में असलफल रही.
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