बजट से पहले सरकार की एक घोषणा, और सेंसेक्स ने बना डाला रिकॉर्ड
बजट पेश किए जाने के ठीक दो हफ्ते पहले ही सेंसेक्स ने इतिहास रचते हुए जहां 35,000 के स्तर को पार किया वहीं नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 88.10 अंकों की शानदार उछाल के साथ अपने पिछले ऊच्च स्तर 10,741.55 के स्तर को तोड़ते हुए 10,800 को पार कर गया।
highlights
- सेंसेक्स ने रचा इतिहास, 35 हजार के स्तर को किया पार
- बुधवार को सेंसेक्स और निफ्टी की हुई थी कमजोर शुरुआत
नई दिल्ली:
बजट पेश किए जाने के ठीक दो हफ्ते पहले ही सेंसेक्स ने इतिहास रचते हुए जहां 35,000 के स्तर को पार किया वहीं नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 88.10 अंकों की शानदार उछाल के साथ अपने पिछले ऊच्च स्तर 10,741.55 के स्तर को तोड़ते हुए 10,800 को पार कर गया।
बुधवार को सेंसेक्स और निफ्टी की सपाट और कमजोर शुरुआत हुई थी। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का इंडेक्स सेंसेक्स सुबह 17.25 अंकों की गिरावट के साथ 34431.61 पर, जबकि नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का इंडेक्स निफ्टी 2 अंकों की मजबूती के साथ 10,702.45 पर खुला।
हालांकि दोपहर बाद बाजार ने रिकॉर्ड हाई बनाया। नियर टर्म में बाजार के लिए बजट को सबसे बड़ा ट्रिगर माना जा रहा था लेकिन उससे पहले ही यह ऐतिहासिक स्तर को छूने में सफल रहा।
बाजार में आई शानदार उछाल की सबसे बड़ी वजह सरकार की वह घोषणा रही, जिसने निवेशकों को सभी चिंताओं को दूर किया। इसके बाद घरेलू निवेशकों ने बाजार में चौतरफा खरीदारी की।
दरअसल राजकोषीय घाटे को लेकर निवेशक सतर्कता बरत रहे थे।
इसलिए जब सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए कर्ज की जरूरतों का मूल्यांकन करते हुए इसे घटाया तो निवेशकों ने अपनी आशंकाओं को किनारे रखते हुए जमकर खरीदारी की।
सरकार ने इस वित्त वर्ष के लिए अतिरिक्त कर्ज जरूरत को घटाकर 20,000 करोड़ रुपये कर दिया है जबकि पहले यह अनुमान 50,000 करोड़ रुपये का था।
कर्ज जरूरत को घटाने से सीधी मदद वित्तीय घाटे के मोर्चे पर मिलेगी और उसे तय लक्ष्य के भीतर रखने में मदद मिलेगी।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए 3.2 फीसदी के घाटे का लक्ष्य रखा है लेकिन चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीनों यानी अप्रैल से नवंबर के बीच केंद्र के राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के 112 फीसदी को पार करने के बाद इस लक्ष्य को पाना मुश्किल लग रहा था।
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इसके बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार चालू वित्त वर्ष के लिए घाटे के अनुमान को संशोधित करेगी और इसे पूरा करने के लिए उसे अतिरिक्त कर्ज लेना होगा।
हालांकि बाजार की यह चिंता अब दूर होती नजर आ रही है।
इसके साथ ही कंपनियों के बेहतर नतीजे और मजबूत आर्थिक आंकड़ों ने निवेशकों के भरोसे को बल दिया है।
गौरतलब है कि नवंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर (आईआईपी) 8.4 फीसदी रही, जो कि पिछले 17 महीनों का उच्चतम स्तर है। वहीं इस दौरान थोक महंगाई दर में भी गिरावट आई है। दिसंबर महीने में थोक महंगाई दर कम होकर 3.58 फीसदी रही।
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