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राज्य के पास पेट्रोल की कीमतों में कटौती करने की क्षमता: नीति आयोग

पिछले कुछ दिनों से अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी की वजह से सभी राज्यों में पेट्रोल और डीजल के दामों में काफी तेज़ी से वृद्धि हुई है।

Updated on: 26 May 2018, 02:43 PM

नई दिल्ली:

पेट्रोल-डीजल के दामों में बेतहाशा वृद्धि पर लगाम लगाने को लेकर नीति आयोग का कहना है कि राज्यों के पास यह क्षमता है कि वो टैक्स में कमी कर सके। वहीं केंद्र सरकार को एक वित्तीय व्यवस्था बनानी चाहिए जिससे की तेल के दामों मे वृद्धि के समय उसके असर को को कम किया जा सके।

बता दें कि पिछले कुछ दिनों से अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी की वजह से सभी राज्यों में पेट्रोल और डीजल के दामों में काफी तेज़ी से वृद्धि हुई है। 11वें दिन पेट्रोल का दाम बढ़कर 77.47 रुपये पर पहुंच गया है जबकि डीजल 68.53 रुपये पर।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि अब जीएसटी टैक्स वसूली बढ़ने से वो वक्त आ गया है सरकार, एक्साइज ड्यूटी घटा सकती है। लेकिन इसके लिए राज्यों को भी राहत देना होगा।

राजीव कुमार ने कहा, 'अच्छा होगा कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों द्वारा तेल के दामों में कटौती की जाए। गौरतलब है कि ईंधन के दामों में राज्य कई तरह के टैक्स वसूलता है इसलिए अगर केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकार भी इसमें कटौती करती है तो दामों में और अधिक राहत मिल सकती है।'

उन्होंने आगे कहा, 'राज्य सरकार को चाहिए कि वो टैक्स में 10-15 फीसदी की टैक्स कटौती करे अगर वो ऐसा नहीं करते हैं और अधिक लालच दिखाते हैं तो यह न केवल आम लोगों के लिए बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी हानिकारक होगा।'

उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें अमूमन पेट्रोल पर 27 फीसदी तक का टैक्स वसूल करती हैं।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने आगे केंद्र सरकार के लिए कहा, 'केंद्र सरकार के पास पेट्रोल-डीजल के दामों में उछाल के हालात को संभालने के लिए पहले से वित्तीय व्यवस्था है लेकिन इस और बेहतर करना होगा।'

उन्होंने आगे कहा कि न केवल पेट्रोल बल्कि इलेक्ट्रीसिटी को भी जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए।

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