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नोेटबंदी के बाद जारी किए गए नए नोट अगर हुए खराब तो बैंकों में नही होंगे जमा: RBI

अगर आपके पास 200,500 या 2000 रु के नए नोट खराब हालत में है और आप उसे बदलने की सोच रहे हैं तो यह खबर आपके लिए है।

Updated on: 14 May 2018, 09:55 AM

नई दिल्ली:

अगर आपके पास 200,500 या 2000 रु के नए नोट खराब हालत में है और आप उसे बदलने की सोच रहे हैं तो यह खबर आपके लिए है।

इकनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के अनुसार आरबीआई की ओर से जारी किए गए 200रु, 500रु और 2000रु के नोट अगर किसी वजह से गंदे या खराब हो जाएं तो इन्हें न तो बैंकों में जमा किया जा सकता है और न ही इन्हें बदला जा सकेगा।

इसका मुख्य कारण सरकार और आरबीआई ने इनके एक्सचेंज पर लागू होने वाले प्रावधानों में बदलाव नहीं किए हैं। इन नोटों का आरबीआई के करंसी नोटों के एक्सचेंज से जुड़े नियमों के दायरे में नहीं रखा गया है।

आरबीआई ऐक्ट के सेक्शन 28 के तहत कटे-फटे या गंदे नोटों के एक्सचेंज का मामला नोट रिफंड रूल्स में शामिल हैं।

इस ऐक्ट में 5, 10, 50, 100, 500, 1,000, 5,000 और 10,000 रुपये के करंसी नोटों का जिक्र है, लेकिन नोटबंदी के बाद जारी किए गए 200 और 2,000 रुपये (साथ ही 500रु के नए नोटों) को जगह नहीं दी गई है।

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गौरतलब है कि 2,000 और 500 रु का नोट 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के ऐलान के बाद जारी किया गया था जबकि 200 रुपये का नोट अगस्त 2017 में जारी किया गया था।
अभी 2,000 रुपये के करीब 6.70 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट सर्कुलेशन में हैं और आरबीआई ने अब 2,000 रुपये के नोट छापना बंद कर दिया है।

इस बात की पुष्टि 17 अप्रैल को इकनॉमिक अफेयर्स सेक्रटरी सुभाष सी गर्ग ने की है।

बैंकरों ने कहा कि नई सीरीज में कटे-फटे या गंदे नोटों के बेहद कम मामले सामने आए हैं, लेकिन इस बात को लेकर बैंकों ने आगाह किया है कि अगर प्रावधान में जल्द बदलाव नहीं किया गया तो दिक्कतें शुरू हो सकती हैं।

आरबीआई का दावा है कि उसने 2017 में ही बदलाव की जरूरत के बारे में वित्त मंत्रालय को पत्र भेजा था। जिसका अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।

ईटी के सवालों के जवाब में आरबीआई ने स्वीकार किया है कि नई सीरीज के नोटों की अभी बैंकों में अदला-बदली नहीं की जा सकती है। 

आरबीआई ने कहा, 'ऑफिशल गजट में बदलावों का नोटिफिकेशन होने के बाद एमजी (न्यू) सीरीज के कटे-फटे/अशुद्ध नोटों की अदला-बदली की जा सकती है।' 

हालांकि यह साफ नहीं हो पा रहा कि सरकार इन जरूरी बदलावों को करने में इतना समय क्यों ले रही है।

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