शरिया बैंकिंग पर RBI ने केंद्र सरकार की राय को सार्वजनिक करने से किया इनकार, RTI से मांगी गई थी जानकारी
रिज़र्व बैंक ने शरिया कानून पर केंद्र सरकार की क्या राय है इस पर दाखिल आरटीआई का जवाब में कहा है कि यह जानकारी साझा नहीं की जा सकती है।
नई दिल्ली:
रिज़र्व बैंक ने शरिया कानून पर केंद्र सरकार की क्या राय है, इस पर दाखिल आरटीआई का जवाब नहीं दिया है। रिज़र्व बैंक ने आरटीआई के जवाब में कहा है कि इस मुद्दे पर केंद्रीय बैंक आरटीआई का जवाब नहीं दे सकता क्योंकि इसे कानून की धारा 8 (1)(सी) के तहत जानकारी नहीं देने की छूट मिली हुई है।
रिज़र्व बैंक ने सोमवार को कहा कि वित्त मंत्रालय ने देश में शरिया बैंकिंग शुरु करने पर केंद्रीय बैंक की रिपोर्ट पर क्या प्रतिक्रिया दी है, इसका ख़ुलासा नही कर सकता है। आरटीआई के माध्यम से रिजर्व बैंक को अंतर विभागीय ग्रुप द्वारा इस्लामिक बैंकिंग पर भेजी गए पत्र की कॉपी की जानकारी मांगी गई थी।
रिज़र्व बैंक ने वित्त मंत्रालय के विभाग डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंस सर्विसेज़ (डीएफसी) से राय मांगी थी कि क्या यह जानकारी आरटीआई द्वारा साझा की जा सकती है।
इसके जवाब में याचिकाकर्ता ने बताया है कि रिज़र्व बैंक ने कहा, 'इस संबंध में हमें डीएफसी ने सलाह दी है कि भारत सरकार को कानून की धारा सेक्शन 8 (1) (सी) के तह्त यह जानकारी साझा न करने की छूट मिलती है।'
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कानून की यह धारा उन जानकारियों को जो सदन या राज्य विधानसभाओं के विशेषाधिकार का हनन कर सकती हैं उन्हें साझा करने से रोकने की इजाजत देता है। इस्लामिक या शरिया बैंकिंग एक ऐसी वित्तीय सुविधा प्रदान करती है जिसमें ब्याज दरें लगाने की व्यवस्था नहीं होती, क्योंकि यह इस्लाम में प्रतिबंधित है।
इससे पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 20 नवंबर को बैंकों में ‘इस्लामिक विंडो’ खोले जाने का प्रस्ताव दिया था। इससे देश में शरिया कानून के अनुरुप, ब्याज-मुक्त बैंकिंग की शुरुआत करने का प्रस्ताव दिया था।
केंद्र और आरबीआई देश में लंबे समय से इस्लामिक बैंकिंग की संभावनाएं तलाश रहे थे। ताकि धार्मिक वजहों से बैंकिंग सेवाओं से दूर परेशान लोगों को भी बैंकिंग से जोड़ा जा सके।आरटीआई के जवाब में बताया गया है कि आरबीआई ने वित्त मंत्रालय को एक पत्र में यह प्रस्ताव और इसके फायदे गिनाए हैं।
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आरबीआई ने लिखा है कि, 'हमारी राय में, इस्लामिक वित्तीय जटिलता और मामले की चुनौतियों तथा इस बात के आधार पर कि भारतीय बैंकों को इस क्षेत्र में कोई पूर्व अनुभव नहीं हैं, धीरे-धीरे इस्लामिक बैंकिंग की शुरुआत की जा सकती है। शुरुआत में, परंपरागत बैंकिंग उत्पादों के जैसे कुछ आसान उत्पाद बैंकों की इस्लामिक खिलाड़ी के जरिए पेश किए जाएंगे। समय के साथ मिले अनुभवों के आधार पर पूर्ण रूप से इस्लामिक बैंकिंग केा लाभ-हानि वाले जटिल उत्पादों को लॉन्च किया जा सकता।'
इस्लामिक या शरिया बैंकिंग ऐसा वित्तीय सिस्टम है जिसमें ब्याज वसूलने का सिद्धांत नहीं है, जो कि इस्लाम में प्रतिबंधित है।
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