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RBI Credit Policy: रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी, EMI भरना होगा महंगा

बढ़ती मंहगाई को देखते हुए आरबीआई ने यह फ़ैसला लिया है। रेपो रेट बढ़ने से होम और कार लोन की EMI भी बढ़ेगी। बता दें कि रिजर्व बैंक ने लगातार दूसरी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है।

Updated on: 01 Aug 2018, 03:55 PM

नई दिल्ली:

रिजर्व बैंक की मॉनेटिरी पॉलिसी कमेटी ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। नए दर के मुताबिक अब रेपो रेट 6.50% होगा।

माना जा रहा है कि बढ़ती मंहगाई को देखते हुए आरबीआई ने यह फ़ैसला लिया है। रेपो रेट बढ़ने से होम और कार लोन की EMI भी बढ़ेगी। बता दें कि रिजर्व बैंक ने लगातार दूसरी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है।

बता दें कि अक्टूबर 2013 के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है जब लगातार दो पॉलिसी में रेपो दरें बढ़ाई गई हैं। रिजर्व बैंक ने महंगाई को 4 फीसदी रखने का लक्ष्य बनाया है। 

भारत में खुदरा महंगाई दर दोबारा पांच फीसदी के स्तर को पार कर गई है। इसलिए पहले ही उम्मीद की जा रही थी कि इस बैठक में मौद्रिक नीति को लेकर सख्त रवैया अपनाया जा सकता है। 

आरबीआई ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में आई तेजी के कारण देश में बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए ब्याज दर में वृद्धि की थी। 

मौद्रिक नीति की घोषणा से पूर्व एमपीसी की इसी तरह की तीन दिवसीय बैठक इससे पहले जून में भी हुई थी जब आरबीआई ने प्रमुख ब्याज दरों में कटौती के 2015 से जारी सिलसिले को तोड़ते हुए रेपो रेट को 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दिया था। 

इससे पहले एमसीसी की बैठक मौद्रिक नीति की घोषणा से दो दिन पहले शुरू होती थी। 

छह सदस्यीय एमपीसी ने चार साल से अधिक समय बाद और मोदी सरकार में पहली बार जून में सर्वसम्मति से ब्याज दर बढ़ाने के पक्ष में अपना मत दिया था।

खुदरा महंगाई इस साल जून में पांच फीसदी तक पहुंच गई, जबकि मई में 4.87 फीसदी थी। हालांकि आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में महंगाई दर 4.8-4.9 फीसदी रहने का अनुमान जारी किया था। 

पिछले महीने महंगाई दर में बढ़ोतरी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम 75 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा हो जाने के कारण हुई। 

जून की मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा था कि महंगाई दर केंद्रीय बैंक के मध्यवर्ती लक्ष्य चार फीसदी से ज्यादा हो गई। 

आरबीआई ने इससे पहले चार मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के दौरान रेपो रेट को यथावत छह फीसदी रखा था। 

मौजूदा हालात में आरबीआई के रवैये को लेकर विश्लेषकों का विभाजित मत है, क्योंकि औद्योगिक उत्पाद वृद्धि दर अप्रैल के 4.9 फीसदी से घट मई में 3.2 फीसदी रह गई है। 

डेल्टा ग्लोबल पार्टनर्स के संस्थापक व प्रमुख साझीदार देवेंद्र नेवगी ने कहा, 'आगामी मौद्रिक नीति घोषणा में आरबीआई के रुख को लेकर बाजार में विभाजित मत है, क्योंकि एमपीसी अपने फैसले में महंगाई दर को तवज्जो दे सकती है, जबकि आरबीआई ने यथावत रवैया छोड़कर प्रगतिशील रवैया अपनाया है।'

उन्होंने कहा, 'आरबीआई आंकड़ों को ध्यान में रखेगा और वृद्धि को लेकर सावधानी बरतेगा।'

रेपो रेट क्या होता है-
बैकों को कामकाज के लिए बड़ी रकम की ज़रूरत पड़ती है और ऐसी स्थिति में उसे RBI ( भारतीय रिजर्व बैंक) से कर्ज लेना पड़ता है। आरबीआई जिस दर( ब्याज वसूलता) पर बैंक को कर्ज देता हैं उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाते हैं।

रिवर्स रेपो रेट का मतलब-
रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है। बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नगदी दिखाई देती हैं, आरबीआी रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दे।

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