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SAIL को मिल सकता है झटका, भारतीय रेलवे ट्रैक्स बिछाने के लिए प्राइवेट सप्लायर्स को दे सकती है मौका

भारतीय रेलवे, ट्रैक्स बनाने के लिए सरकारी अलावा अब प्राइवेट सप्लायर्स को भी मौका देने की सोच रही है।

Updated on: 25 Mar 2017, 07:08 PM

highlights

  • रेलवे ट्रैक के स्टील की मांग नहीं पूरी कर पा रहा है स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया
  • स्टील की मांग को पूरा करने के लिए सरकार निजीकरण पर कर रही है विचार 
  • प्राइवेट सप्लायर्स में सबसे पहला नाम जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड 

नई दिल्ली:

भारतीय रेलवे, ट्रैक्स बनाने के लिए सरकारी अलावा अब प्राइवेट सप्लायर्स को भी मौका देने की सोच रही है। फिलहाल ट्रैक्स बनाने के लिए केवल सरकार संचालित स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) ही सप्लाई करता है। अगर ऐसा हुआ तो 70 करोड़ डॉलर की सालाना खरीद में प्राइवेट सेक्‍टर भी हिस्‍सा ले सकेगा। भारतीय रेलवे विश्व का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क का आधुनिककरण करने का विचार किया जा रहा है।

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पिछले सप्ताह रेलवे मंत्रालय ने संसद में बताया कि सरकार ने रेल सुरक्षा को सुधारने के लिए 25 लाख डॉलर रूपये की मंजूरी दी है। मंत्रालय ने बताया कि दो सालों में ट्रैक में खराबी होने के कारण ट्रेन हादसों में 25 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।

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कंपनी के डेटा के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में, कंपनी 850,000 टन के अपने टारगेट को पूरा करने में असफल है। कंपनी अपने टारगेट से 250,000 टन कम सप्लाई कर रही है । पिछले 10 सालों में यह 8वीं बार है, जब कंपनी अपना टारगेट पूरा नहीं कर पा रही। लेकिन इस बार का अंतर सबसे कम है।

सेल के एक्जीक्यूटिव के मुताबिक 2015 से स्टील की मांग में अचानक ही 45 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो गई है। जिसके कारण पुराने ट्रैक की मरम्मत के लिए मांग की जा रही स्टील के टारगेट को पूरा करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी ने बताया, लंबे समय से अटकी नई रोलिंग मशीन भिलाई के मुख्य प्लांट में लग गई है। जिससे इसकी क्षमता 100,000 टन बढ़ जाएगी।

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बता दें कि रेलवे का प्राइवेट सप्लायर्स के पास जाना सेल के लिए बड़ा नुकसान साबित हो सकता है। रेलवे फिलहाल सेल का सबसे बड़ा ग्राहक है। पिछले सात क्‍वार्टर से सेल का नुकसान में चल रही है।

रेलवे सप्लाई में सेल के खराब प्रदर्शन पर पहले ही कई पत्र भेज चुका है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार जल्द ही सेल ने अपने टारगेट पूरे नहीं किये तो ये टेंडर प्राइवेट सप्लायर्स के हाथों में जा सकती है। प्राइवेट सप्लायर्स में सबसे पहला नाम जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड का आ रहा है। जो पहले ही ईरान को रेल निर्यात कर चुका है।

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