वैश्वीकरण की फीकी पड़ती चमक के बीच भारत ने पकड़ी रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रासंफॉर्म की राह: WEF में PM मोदी
स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मजबूत भारतीय अर्थव्यवस्था का खाका पेश किया।
highlights
- स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मजबूत भारतीय अर्थव्यवस्था का खाका पेश किया
- मोदी ने कहा भारत में आर्थिक और सामाजिक नीतियों में केवल छोटे-मोटे सुधार ही नहीं कर रहा बल्कि आमूल चूल रुपांतरण कर रहे हैं
नई दिल्ली:
स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मजबूत भारतीय अर्थव्यवस्था का खाका पेश करते हुए वैश्वीकरण की सीमाओं का जिक्र किया।
मोदी ने कहा भारत में आर्थिक और सामाजिक नीतियों में केवल छोटे-मोटे सुधार ही नहीं कर रहा बल्कि आमूल चूल रुपांतरण कर रहे हैं वहीं तेजी से वैश्वीकरण की चमक फीकी पड़ती जा रही है।
उन्होंने कहा, 'हमने जो रास्ता चुना है वह रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म का है।' मोदी ने कहा भारत की अर्थव्यवस्था को निवेश के लिए सुगम बनाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'भारत में आज निवेश करना, भारत की यात्रा करना, भारत में काम करना, भारत में मैन्युफैक्चरिंग करना और भारत से अपने प्रॉडक्ट और सर्विसेज को दुनिया भर को एक्सपोर्ट करना, सब कुछ पहले की तुलना में ज्यादा आसान हो गया है।'
पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा की यात्रा का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि पिछले 20 सालों ने भारत पूरी तरह से बदल चुका है। उन्होंने कहा कि इन 20 सालों में भारत की अर्थव्यवस्था एक बड़े और भीमकाय आर्थिक तंत्र में बदल चुकी है।
मोदी ने कहा, 'दावोस में आख़िरी बार भारत के प्रधानमंत्री की यात्रा सन् 1997 में हुई थी, जब देवगौड़ा जी यहां आए थे। 1997 में भारत का GDP सिर्फ़ 400 अरब डॉलर से कुछ अधिक था। अब दो दशकों बाद यह लगभग 6 गुना हो चुका है।'
बतौर भारतीय प्रधानमंत्री देवगौड़ा की दावोस यात्रा 1997 में हुई थी।
मोदी ने कहा कि 1997 में भी दावोस अपने समय से आगे था, और यह विश्व आर्थिक मंच भविष्य का परिचायक था। आज भी दावोस अपने समय से आगे है।
मोदी ने दुनिया भर से आए कारोबारियों के प्रतिनिधिमंडल के सामने भारत में पिछले कुछ सालों के दौरान किए गए आर्थिक सुधारों का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि भारत में डेमोक्रेसी, डेमोग्राफी और डयानैमिज्म मिलकर डिवेलपमेंट को साकार कर रहे हैं जो भारत के भविष्य को आकार दे रहा है।
इस दौरान पीएम मोदी ने वैश्वीकरण, आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन पर भारत का नजरिया रखा।
दावोस में प्रधानमंत्री ने इन मुद्दों को तीन चुनौतियों के रूप में पेश किया। मोदी ने कहा कि वह इस बैठक में सिर्फ तीन चुनौतियों का जिक्र करेंगे जो मानव सभ्यता के लिए खतरे पैदा कर रही हैं।
उन्होंने कहा, 'सबसे पहले खतरा जलवायु परिवर्तन का है। दूसरा खतरा आतंकवाद है। सबसे बुरा तब होता है जब कोई अच्छे और बुरे आतंकवाद का जिक्र करता है। युवाओं को चरमपंथी होते देखना सबसे ज्यादा दुखद है।'
मोदी ने तीसरी चुनौती के रूप में वैश्वीकरण की सीमाओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'तीसरी चुनौती मैं यह देखता हूं कि बहुत से समाज और देश ज्यादा से ज्यादा आत्मकेंद्रित होते जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि वैश्वीकरण अपने नाम के विपरीत सिकुड़ रहा है।'
उन्होंने कहा, 'इस मनोवृत्ति और गलत प्राथमिकताओं के दुष्परिणाम को जलवायु परिवर्तन या आतंकवाद के खतरे से कम नहीं आंका जा सकता। हालांकि हर कोई इंटरकनेक्टेड विश्व की बात कर रहा है लेकिन वैश्वीकरण की चमक कम हो रही है।'
प्रधानमंत्री मोदी पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के बाद दावोस जाने वाले दूसरे प्रधानमंत्री है। देवगौड़ा 1997 में दावोस गए थे। बैठक को संबोधित करने से पहले सोमवार को शीर्ष वैश्विक कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के साथ बैठक की।
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