नोटबंदी के 1 साल: क्या पीएम मोदी करेंगे एक और बड़ा ऐलान!
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री इस मौके पर भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी मुहिम को आगे बढ़ाते एक और बड़ा ऐलान कर सकते हैं।
highlights
- नोटबंदी के एक साल पूरे होने के बाद सबकी नजरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से लिए जाने संभावित फैसले पर टिक गई हैं
- माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री इस मौके पर भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी मुहिम को आगे बढ़ाते एक और बड़ा ऐलान कर सकते हैं
नई दिल्ली:
नोटबंदी के एक साल पूरे होने के बाद सबकी नजरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से लिए जाने संभावित फैसले पर टिक गई हैं।
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री इस मौके पर भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी मुहिम को आगे बढ़ाते एक और बड़ा ऐलान कर सकते हैं।
नोटबंदी के एक साल पूरे होने के मौके पर कांग्रेस के 'काला दिवस' मनाए जाने की घोषणा और राहुल गांधी के गुजरात चुनाव में इसे चुनावी मुद्दा बनाए जाने की कोशिशों पर पलटवार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक और बड़ी कार्रवाई का संकेत पहले ही दे चुके हैं।
हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर जिले की चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने नोटबंदी की वर्षगांठ पर बेनामी संपत्ति के खिलाफ बड़ी कार्रवाई के संकेत दिए थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने 4 नवंबर की इस रैली में कहा था कि कांग्रेस इसलिए चिंतित है क्योंकि सरकार की कार्रवाई में उसके नेताओं की संपत्ति को भी नहीं बख्शा जाएगा।
उन्होंने कहा था, 'बेनामी संपत्ति के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई के पहले मेरे खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है।'
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मोदी ने कहा, 'गरीबों से लूटे गए को लौटाने का समय आ गया है। मैं ऐसी स्थिति बनाने जा रहा हूं जिसमें वह (कांग्रेसी नेता) वह बेनामी संपत्ति को बनाए नहीं रख सकेंगे।'
पिछले साल 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा करते हुए मोदी ने 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बैन कर दिया था। तब से लेकर यह विपक्ष के लिए सरकार को घेरने का हथियार बना हुआ है।
सरकार ने जिन मकसद के साथ नोटबंदी का फैसला लिया था, विपक्ष उनके जस के तस बने रहने को लेकर सरकार को घेरता रहा है।
सरकार ने काला धन, आतंकवाद और भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के वादे के साथ नोटबंदी की घोषणा की थी। जबकि विपक्ष का कहना रहा है कि मोदी सरकार के इस फैसले से अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
विपक्ष के आरोपों के मुताबिक नोटबंदी के फैसले से मझोले और छोटे कारोबारियों का व्यापार पूरी तरह से बर्बाद हो गया और देश में मौजूद अनौपचारिक क्षेत्र पूरी तरह से बर्बाद हो गया।
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मशहूर अर्थशास्त्री और पूर्व मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार के इस फैसले को 'संगठित लूट' बताते हुए देश की जीडीपी में 2 फीसदी की गिरावट का अंदेशा जताया था। जो बाद में सच भी साबित हुई।
मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की जीडीपी दर कम होकर 5.7 फीसदी हो गई, जो पिछले तीन सालों का सबसे कमजोर ग्रोथ रेट है।
वहीं विश्व बैंक के अलावा कई रेटिंग एजेंसियां मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत के जीडीपी अनुमान में कटौती कर चुकी है।
हालांकि इन सबके बावजूद पीएम मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की मुहिम को बनाए रखना चाहते हैं। माना जाता है कि वह इन्हीं मुद्दों के आधार पर अगले लोकसभा चुनाव में जनता के बीच जाएंगे।
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