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सिगरेट बनाने वाली कंपनियों को झटका, GST काउंसिल ने सेस में किया इजाफा

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद पहली बार हुई जीएसटी परिषध की बैठक में सिगरेट पर लगने वाले सेस में बढ़ोतरी कर दी गई है। सरकार के इस फैसले से सिगरेट की खुदरा कीमतों पर कोई असर नहीं होगा।

Updated on: 17 Jul 2017, 09:14 PM

highlights

  • जीएसटी परिषध की बैठक में सिगरेट पर लगने वाले सेस में बढ़ोतरी कर दी गई है
  • 65 मिमी तक लंबी सिगरेट पर लगने वाले सेस को बढ़ाकर 485 रुपये कर दिया है
  • 65 मिमी से लंबी सिगरेट पर लगने वाले सेस की दर को बढ़ाकर 792 रुपये कर दिया गया है

नई दिल्ली:

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद पहली बार हुई जीएसटी परिषद की बैठक में सिगरेट पर लगने वाले सेस में बढ़ोतरी कर दी गई है। सरकार के इस फैसले सिगरेट की खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होगी।

65 मिमी तक लंबी सिगरेट पर लगने वाले सेस को बढ़ाकर 485 रुपये कर दिया है। सेस की यह रकम प्रति 1,000 सिगरेट पर वसूली जाएंगी। वहीं 65 मिमी से लंबी सिगरेट पर लगने वाले सेस की दर को बढ़ाकर 792 रुपये कर दिया गया है। नई दरें सोमवार को आधी रात से लागू हो जाएंगी।

काउंसिल की बैठक में सिगरेट पर लगने वाले सेस को बढ़ाने का फैसला अतिरिक्त राजस्व की उगाही के मकसद से लिया गया है। सेस की बढ़ोतरी से सरकार की नजर अतिरिक्त 5 हजार करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने पर है।

जीएसटी दर के लागू होने की वजह से मैन्युफैक्चरर्स को होने वाले उम्मीद से अधिक फायदे के देखते हुए सरकार ने सिगरेट पर लगने वाले सेस को बढ़ा दिया है।

सरकार ने सिगरेट पर लगने वाले जीसएटी की दर को 28 फीसदी और वैलोरम को 5 फीसदी की दर पर बरकरार रखा है। लेकिन फिक्स सेस की दर को 485 रुपये से बढ़ाकर 792 रुपये कर दिया गया है।

सेस में होने वाली बढ़ोतरी से सरकार को अतिरिक्त कर के तौर पर 5,000 करोड़ रुपये मिलेंगे जो अभी तक मैन्युफैक्चरर्स के खाते में जा रहे थे। जीएसटी काउंसिल ने सिगरेट के लिए 28 फीसदी की दर तय की थी।

सेस की दरों में बढ़ोतरी से हालांकि उपभोक्ताओं को ज्यादा कीमत का भुगतान नहीं करना चाहिए। बल्कि इस फैसले से मैन्युफैक्चर्स को होने वाले मुनाफे का बड़ा हिस्सा सरकार के खाते में जाएगा।

जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक अगस्त महीने के पहले हफ्ते में होगी। 

जीएसटी को देश में एक जुलाई को लागू किया गया था। जीएसटी ने देश में पहले से मौजूद 16 अप्रत्यक्ष करों की जगह ली है।

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