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2018-19 में 7.5% की ग्रोथ रेट पर कच्चे तेल की कीमतें लगा सकती हैं ब्रेक: आर्थिक सर्वेक्षण

वित्त वर्ष 2017-18 के लिए जारी आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष में वृद्धि दर 6.75 फीसदी और उसके अगले वित्त वर्ष 2018-19 में यह 7-7.5 फीसदी रह सकती है।

Updated on: 30 Jan 2018, 07:51 AM

highlights

  • आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष में वृद्धि दर 6.75 फीसदी और उसके अगले वित्त वर्ष 2018-19 में यह 7-7.5 फीसदी रह सकती है
  • आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से भारत के ग्रोथ रेट में कमी आ सकती है

नई दिल्ली:

वित्त वर्ष 2017-18 के लिए जारी आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष में वृद्धि दर 6.75 फीसदी और उसके अगले वित्त वर्ष 2018-19 में यह 7-7.5 फीसदी रह सकती है।

हालांकि सर्वेक्षण के मुताबिक आने वाले दिनों में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें ग्रोथ रेट के लिए चुनौती बन सकती है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से भारत के ग्रोथ रेट में कमी आ सकती है।

बजट सत्र के पहले दिन सोमवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया।

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, 'पिछले वर्ष किए गए प्रमुख सुधारों की वजह से मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी 6.75 फीसदी और वित्त वर्ष 2018-19 में सात से 7.5 फीसदी रहने का अनुमान है, जिससे भारत एक बार फिर दुनिया में सबसे तेजी से वृद्धि करती अर्थव्यवस्था बन जाएगी।'

जेटली ने कहा कि 2017-18 में किए गए सुधारों से वर्ष 2018-19 में वृद्धि दर में और मजबूती आएगी।

सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़नी शुरू की और गत वर्ष पहली जुलाई, 2017 को लागू की गई जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) और नए भारतीय दिवालिया कानून की वजह से इस वित्त वर्ष की वृद्धि दर 6.75 फीसदी रह सकती है।

सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि सार्वजनिक बैंकों की मजबूती के लिए बड़े पैमाने पर पुर्नपूजीकरण पैकेज, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को और उदार बनाने तथा वैश्विक मजबूती के कारण निर्यात में सुधार ने वृद्धि दर बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रह्मण्यम ने यहां एक जुलाई से लागू नए राष्ट्रीय कर (जीएसटी), जिसने कई सारे राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले और केंद्र द्वारा लगाए जाने वाले करों की जगह ली है, का हवाला देते हुए संवाददाताओं से कहा, 'पिछले साल की उपलब्धियों को देखें, तो परिवर्तनकारी जीएसटी को लागू करना प्रमुख सुधारों में से था।'

उन्होंने कहा, 'इतने बड़े व्यापक सुधार को लागू करते हुए, शुरुआत में परेशानियां आती ही हैं और इसमें लगातार सुधार जारी है।'

सीईए ने कहा, 'अगर आप पिछली चार तिमाहियों को देखें, तो आप पाएंगे कि विनिर्माण निर्यात वृद्धि दर करीब 11.3 फीसदी रही है, जोकि बहुत ही स्वस्थ है और वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार के अनुरूप है।'

फिक्की के अध्यक्ष रशेश शाह ने कहा, 'अगले वित्त वर्ष से इन सुधारों का फायदा अर्थव्यवस्था को मिलने लगेगा और हम सरकार द्वारा चलाई जा रही सुधार प्रक्रिया में निरंतरता की उम्मीद रखते हैं।'

सोमवार को सर्वेक्षण जारी होने के बाद भारतीय शेयर बाजारों में जोरदार तेजी देखी गई और सेंसेक्स और निफ्टी नई ऊंचाइयों पर बंद हुए।

सर्वे में कहा गया है कि जहां तक तिमाही अनुमान का सवाल है, वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीएसटी) में जारी गिरावट थमती नजर आई और उद्योग क्षेत्र के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था में तेजी लौटी। 

कृषि 8.3 फीसदी दर से बढ़ेगा

सर्वेक्षण में कहा गया है, '2016-17 में 6.6 फीसदी के मुकाबले 2017-18 में निरंतर मूल कीमतों पर सकल मूल्य 6.1 फीसदी की दर से बढ़ने की संभावना है। इसी प्रकार कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र में 2017-18 में क्रमश: 2.1 फीसदी, 4.4 फीसदी और 8.3 फीसदी की दर से विकास होने की संभावना है।'

सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत को विश्व में औसत वृद्धि दर के हिसाब से पिछले तीन वर्षो में बेहतर प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्था की सूची में रखा जा सकता है। पिछले तीन वर्षो में यह वृद्धि दर वैश्विक वृद्धि दर से चार फीसदी ज्यादा है और बढ़ते बाजारों व विकासशील देशों से लगभग तीन फीसदी अधिक है।'

तेज कीमतों पैनी निगाह की जरूरत

सर्वे में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने की संभावना है, और इसका आने वाले वर्षो में जीडीपी वृद्धि दर पर बुरा असर हो सकता है।

सर्वे में कहा गया है, 'पिछले तीन वित्त वर्षो में, भारत ने व्यापार घाटा को सकारात्मक तरीके से झेला है। लेकिन वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तीन तिमाहियों में, डॉलर के संदर्भ में पिछले साल के मुकाबले कच्चे तेल की कीमतें 16 फीसदी अधिक थीं। अनुमान है कि तेल की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि से देश की वृद्धि दर 0.2-0.3 फीसदी कम हो जाती है। इससे थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति में 1.7 फीसदी वृद्धि हुई और सीएडी (चालू खाता घाटा) करीब 9-10 अरब डॉलर बढ़ गया।'

सुब्रमण्यम ने कहा, 'अगर तेल कीमतें वर्तमान स्तरों पर भी रहती है, तो मैं समझता हूं कि यह चुनौतीपूर्ण रहेगा। इसलिए मेरा मानना है कि तेल कीमतों पर बहुत सावधानी से नजर रखनी होगी। वहीं, एक जोखिम भी है, शेयर बाजार इतनी तेजी से आगे बढ़े हैं,अगर उसमें तेज सुधार होता है तो एक और खतरा है, जिस पर हमें नजर रखनी चाहिए।'

सुब्रमण्यम ने कहा, 'अगले साल के एजेंडे में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को मजबूत करना, टीबीएस कार्रवाई को पूरा करना, एयर इंडिया के निजीकरण, व्यापाक आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करनेवाले खतरों को दूर करना है।'

सीईए ने कहा कि अगर दिवाला और दिवालियापन संहिता की प्रक्रिया अच्छी तरह से चलती है और इसमें तेज प्रगति होती है, तो कई वर्षो की मंदी के बाद निजी निवेश में तेजी देखने को मिलेगी।

नोटबंदी के बाद करदाताओं की संख्या बढ़ी

सर्वेक्षण में कहा गया कि नोटबंदी के बाद करदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

सर्वेक्षण में कहा गया है, 'यह पाया गया कि नए कर दाताओं में 0.8 फीसदी की मासिक वृद्धि दर (10 फीसदी का सालाना वृद्धि दर) रही है।'

सर्वेक्षण में कहा गया है, 'साल 2017 के नवंबर में करदाताओं की संख्या पूर्व में हो रही प्रगति के आधार पर लगाए गए अनुमानों की तुलना में 30 फीसदी अधिक रही। इसका मतलब यह है कि नोटंबदी और जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के कारण 18 लाख से अधिक नए करदाता सामने आए हैं, जो कि वर्तमान करदाताओं की संख्या का तीन फीसदी है।'
सर्वेक्षण के मुताबिक, नए करदाताओं ने औसत रूप से अपनी आय 2.5 लाख रुपये की आय सीमा के करीब होने की जानकारी दी है।

सर्वेक्षण में कहा गया है, 'समय के साथ आय में होनेवाली वृद्धि से कई नए करदाता आयकर चुकाने योग्य हो जाएंगे, जिससे राजस्व में बढ़ोतरी होगी।'

सर्वेक्षण के मुताबिक, नोटबंदी और जीएसटी का मुख्य लक्ष्य अर्थव्यवस्था में औपचारिक क्षेत्र को बढ़ाना, अधिक से अधिक भारतीयों को आयकर के दायरे में लाना था।

विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा

सर्वेक्षण में कहा गया, 'साल 2017 के दिसंबर तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 409.4 अरब डॉलर रहा। साल-दर-साल आधार पर 2016 के दिसंबर (358.9 अरब डॉलर) की तुलना में विदेशी मुद्रा भंडार में 14.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।'

सर्वेक्षण में कहा गया, 'विदेशी मुद्रा भंडार आगे 12 जनवरी 2018 तक बढ़कर 413.8 अरब डॉलर हो गया।'

सर्वेक्षण के मुताबिक, '2017 के मार्च में 11.3 महीनों के लिए देश में विदेशी मुद्रा भंडार उपलब्ध था। 2017 के सितंबर में 11.1 महीनों के आयात के लिए विदेशी मुद्रा भंडार उपलब्ध है।'

सर्वेक्षण में बताया गया, 'जहां विश्व की अधिकांश बड़ी अर्थव्यवस्थाएं चालू खाता घाटे का सामना कर रही हैं, वहीं भारत विश्व के सर्वाधिक विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश बन गया है। विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में भारत पूरी दुनिया में छठे स्थान पर है।'

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