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दिल्ली: मकबरे को मंदिर में बदलने के मामले में नया खुलासा, सार्वजनिक नहीं निजी है संपत्ति

INTACH के निदेशक ने नया ख़ुलासा करते हुए कहा है कि यह संपत्ति सार्वजनिक नहीं किसी व्यक्ति विशेष का है और इस से जुड़ी रिवेन्यु रिकॉर्ड्स भी उनके पास मौज़ूद है।

Updated on: 05 May 2018, 05:51 PM

नई दिल्ली:

राजधानी दिल्ली में एक मकबरे को मंदिर में बदलने के मामले में इंडियन नैशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट ऐंड कल्चरल हेरिटेज के निदेशक ने नया ख़ुलासा करते हुए कहा है कि यह संपत्ति सार्वजनिक नहीं किसी व्यक्ति विशेष का है और इस से जुड़ी रिवेन्यु रिकॉर्ड्स भी उनके पास मौज़ूद है।

इस बारे में जानकारी देते हुए INTACH निदेशक अमित कुमार ने मीडिया को बताया, 'पिछले 7-8 महीने में हमारी टीम 5-6 बार लोकेशन पर गई थी लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि यह आकृति निजी संपत्ति का हिस्सा है और इस से जुड़ी रिवेन्यु रिकॉर्ड्स भी उनके पास है।'

हालांकि आगे उन्होंने यह भी कहा, '192-30 के काग़ज़ात के हिसाब से यह मकबरा है लेकिन मेरे लिए यह एक आकृति है। चूंकि यह 500 साल पुराना है इसलिए काफी बहुमूल्य है।'

इससे पहले शुक्रवार को प्रोजेक्ट डायरेक्टर अमित कुमार ने कहा, ‘इस स्मारक पर ताला लगा था। हम स्थानीय लोगों के विरोध की वजह से अपना काम नहीं शुरू कर सके। हम पुलिस के पास भी गए, लेकिन बात नहीं बनी। अब यह मंदिर बन गया है और हमने इस स्मारक को खो दिया है।’

क्या है मामला
सफदरजंग एन्क्लेव स्थित हुमांयुपूर गांव में 'गुमटी' नाम से जाना जाने वाला ये मकबरा दो महीने पहले चुपचाप शिव मंदिर में तब्दील कर दिया गया।

बताया जा रहा है कि मार्च महीने में रिहायशी इलाके के बीच बने इस मकबरे को सफेद और भगवा रंग से पेंट कर दिया गया और उसके अंदर मूर्तियां स्थापित कर दी गई।

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