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ऑड-ईवन योजना को एनजीटी की मंजूरी, सिर्फ आपातकालीन वाहनों को मिली छूट

एनजीटी ने दिल्ली सरकार को लगातार पानी का छिड़काव करने का भी आदेश दिया है।

Updated on: 11 Nov 2017, 02:41 PM

highlights

  • NGT ने शर्तों के साथ ऑड-ईवन को दी मंज़ूरी, सोमवार से होगा लागू
  • वीआईपी, महिला और दोपहिया वाहन को भी ऑड-ईवन के दायरे में लाना होगा
  • एनजीटी ने दिल्ली सरकार को लगातार पानी का छिड़काव करने का भी आदेश दिया है

 

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली में 13 से 17 नवंबर तक ऑड-ईवन योजना चलाने की मंजूरी दे दी है।

एनजीटी ने कहा कि अगर ऑड-ईवन लागू होता है तो फिर वीआईपी, महिला और दोपहिया वाहन को भी इस नियम के दायरे में लाना होगा। सिर्फ इमरजेंसी सेवाओं को ही इस मामले में छूट दी जाएगी।

एनजीटी ने दिल्ली सरकार को लगातार पानी का छिड़काव करने का भी आदेश दिया है। 

एनजीटी ने यह भी कहा कि भविष्य में पीएम 2.5 का स्तर 300 से ऊपर और पीएम10 का स्तर 500 से ऊपर होने की स्थिति में ऑड-ईवन योजना स्वचालित रूप से लागू हो जाएगी।

एनजीटी ने कहा है कि इस योजना के तहत केवल आपातकालीन वाहनों को ही छूट दी जाएगी।

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डीडीए का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील राजीव बंसल ने फैसला आने के बाद संवाददाताओं से कहा, 'एनजीटी ने आज अपने आदेश में कहा कि अगर भविष्य में पीएम2.5 का स्तर 300 से ऊपर और पीएम10 का स्तर 500 से अधिक होता है तो ऑड-ईवन योजना स्वचालित रूप से लागू हो जाएगी।'

बंसल ने कहा, 'प्राधिकरण ने यह भी कहा कि इस योजना के तहत वीआईपी वाहनों, महिलाओं या सरकारी कर्मचारियों को किसी तरह की रियायत नहीं दी जाएगी।'

उन्होंने कहा, 'केवल दमकल गाड़ियों, एम्बुलेंस और ठोस अपशिष्ट ले जाने वाले वाहनों जैसे आपातकालीन वाहनों को ही छूट दी जाएगी।'

अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार पीएम2.5 और पीएम10 की सुरक्षित सीमा 25 और 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, जबकि राष्ट्रीय मानकों के अनुसार यह क्रमश: 40 और 100 यूनिट है।

साथ ही एनजीटी ने दिल्ली सरकार को पार्किंग रेट में चार गुणा बढ़ोतरी के फ़ैसले पर भी दोबारा विचार करने को कहा है। दिल्ली प्रदूषण मामले में एनजीटी अब अगली सुनवाई 14 नवम्बर को करेगी।  

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इससे पहले एनजीटी और दिल्ली सरकार के बीच काफी लंबी बहस चली। यहां उनके बीच हुई बातचीत के कुछ अंश डाले जा रहे हैं। 

एनजीटी ने पूछा, 'आपने कौन सी स्टडी के मुताबिक, ऑड-ईवन लागू किया है। दिल्ली सरकार ने कहा कि वह ईपीसीए के सुझावों को मान रहे हैं। एनजीटी ने दिल्‍ली सरकार को कहा, भगवान मदद कर रहे हैं आपकी स्थिति आपने आप सुधर रही है।'

ट्रिब्यूनल ने पूछा, 'यह फैसला 10 दिन पहले क्यों नहीं लिया गया। सुनवाई में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ट्रिब्यूनल को बताया कि उन्होंने मौखिक तौर पर दिल्ली सरकार को चेताया था, हालांकि दिल्ली सरकार ने इस बात को नकार दिया।'

एनजीटी ने केंद्र और दिल्ली सरकार से पूछा है कि किसी एक बड़े शहर का नाम बताइए जहां पीएम-10 का स्तर 100 से नीचे हो। NGT ने दिल्ली सरकार से उस लेटर को दिखाने को कहा जिसके आधार पर ऑड-ईवन का फैसला लिया गया। ट्रिब्यूनल ने पूछा कि क्या एलजी की सहमति इस पर ली गई थी?

ट्रिब्यूनल ने दिल्ली सरकार से कहा, 'जब आंकड़े दिखा रहे हैं कि बारिश न होने की वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ा है तो इस दिशा में अब तक कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया।'

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एनजीटी ने दिल्ली सरकार से पूछा, 'क्या हमें मान लेना चाहिए कि सरकार ऑड-ईवन के फायदे को लेकर आश्वस्त है और इसके बाद लोगों को भी कोई परेशनी नहीं होगी।'

ट्रिब्यूनल ने पूछा, 'इस स्कीम को लागू करने के पीछे आपका उद्देश्य क्या है? इसके अलावा पूछा कि ऑड-ईवन का आइडिया किसी अधिकारी की तरफ से आया था या दिल्ली सरकार ने यह फैसला लिया था। यह भी बताएं कि किस स्टडी के आधार पर इस स्कीम को लागू करने का फैसला लिया?'

एनजीटी ने कहा, 'ये बहुत दुख की बात है कि आप कोर्ट के पुराने आदेश नहीं पढ़ते हैं। दिल्ली सरकार ने बताया है कि गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण में दो पहिया गाड़ियों का योगदान 30 फीसदी है। कोर्ट को सीपीसीबी ने बताया है कि दो पहिया गाड़ियां मिलाकर 4 पहिया पेट्रोल गाड़ियों से ज्‍यादा प्रदूषण करती हैं। आपने किस वैज्ञानिक आधार पर दो पहिया गाड़ियों को छूट दी है। 500 गाड़ियों को हटाकर अगर 1000 दो पहिया गाड़ियां सड़क पर हैं तो आपका उद्देश्य सिद्ध नहीं हो रहा है।'

ज़ाहिर है कि इससे पहले एनजीटी ने शुक्रवार को कहा था कि ऑड-ईवन के प्रभावों को जाने बिना इसे राजधानी में लागू करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

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