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पूर्व मंत्रियों का आरोप, मोदी सरकार में राफेल डील के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ हुआ समझौता

नई दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए सिन्हा और शौरी दोनों ने कहा कि सरकार ने देश के सबसे बड़े रक्षा घोटाले में मोदी की संलिप्तता को बचाने के लिए झूठ का पुलिंदा बुना है

Updated on: 12 Sep 2018, 10:32 AM

नई दिल्ली:

राफेल लड़ाकू विमान सौदे में पीएम नरेंद्र मोदी की 'व्यक्तिगत संलिप्तता' का आरोप लगाते हुए भाजपा के पूर्व मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री ने सौदे को एकतरफा अंतिम रूप देकर, रक्षा खरीद के सभी नियमों को ताक पर रखकर 'राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता किया है।' नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फेंस को संबोधित करते हुए सिन्हा और शौरी दोनों ने कहा कि सरकार ने देश के सबसे बड़े रक्षा घोटाले में मोदी की संलिप्तता को बचाने के लिए झूठ का पुलिंदा बुना है।

शौरी ने कहा, 'उन्होंने जो भी स्पष्टीकरण दिया, उसने सरकार को झूठ के जाल में फंसाने का काम किया है।'

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उन्होंने कहा कि मोदी को यूपीए सरकार के सौदे को पलटने का कोई अधिकार नहीं था, जोकि संबंधित लोगों द्वारा किया गया मुश्किल काम था और यह सात-आठ वर्षो की मेहनत का परिणाम था।

शौरी ने आगे कहा कि, 'पीएम मोदी ने कैसे 126 की जगह 36 विमान खरीदने का फैसला लिया। सरकार ने कहा कि 36 एयरक्राफ्ट की जल्द से जल्द जरूरत है। लेकिन कुछ मीडिया में रिपोर्ट आई कि पहला एयरक्राफ्ट 2019 में और बाकी 2022 में आएगा।' साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पीएम मोदी को बचाने का प्रयास कर रही है।

वहीं मौजूद प्रशांत भूषण ने भी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि वह वायु सेवा से अधिकारियों पर भी सरकार की तरफदारी करने का दबाव बना रही है।

इसके बाद कॉन्फ्रेंस में मौजूद नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि हिंदुस्तान एयरोनेटिक्स की जगह टेंडर रिलायंस को क्यों दिया गया, जिसके पास इस क्षेत्र का कोई अनुभव नहीं है। बता दें कि साल 2012 में तत्कालीन सरकार ने फैसला किया था कि फ्रांस से 18 शेल्फ जेट्स खरीदे जाएंगे, और बाकि 108 विमानों को देश में ही राज्य संचालित एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी एचएएल (HAL) द्वारा बनाए जाएंगे।

इस पूरे रक्षा सौदे में नया मोड़ साल 2015 में आया जब एनडीए सरकार ने यूपीए सरकार के फैसले को बदलते हुए फ्रांस से 36 'रेडी टू फ्लाई' राफेल जेट्स खरीदने का निर्णय लिया।