हरियाणा: मोबाइल की लत ने बनाया हिंसक, 9 साल के बच्चे ने काटा अपना हाथ
4 साल की उम्र से मोबाइल की लत इतनी बड़ गयी कि जब 9 साल कि उम्र में उसे फ़ोन लिया गया तो उसने रोंगटे खड़े कर देने वाला कदम उठाया।
नई दिल्ली:
आज के युग में तरक्की करता हुआ विज्ञान और बढ़ती टेक्नोलॉजी वरदान होने के साथ अभिशाप भी है। आजकल ज्यादातर बच्चे वक्त बाहर खेलने-कूदने के बजाय समय मोबाइल,लैपटॉप के साथ बिताते है। हरियाणा के एक जिले से चौंका देने वाली घटना सामने आई है। ये घटना पढ़ने के बाद आप कभी अपने मासूम बच्चों के हाथों में मोबाइल नहीं देंगे। 9 वर्ष के बच्चे ने अपने हाथ को सिर्फ इसलिए काट लिया क्योंकि उसके माता-पिता ने उससे मोबाइल वापिस ले लिया था। मोबाइल न देने पर 9 वर्षीय मासूम ने किचन में रखे चाकू से बांह काट लिया।
4 साल की उम्र से लगी लत
बचपन से ही उस छोटे बच्चे के हाथों में मोबाइल थमा दिया गया था। बच्चा आराम से खाना खा ले इस वजह से उसकी मां उसे मोबाइल दे देती थी। जब वह बच्चा सिर्फ चार साल का था तो खिलौने के बजाय मोबाइल 'फेवरेट टॉय' कहते हुए उसे गिफ्ट किया।
4 साल की उम्र से मोबाइल की लत इतनी बड़ गयी कि जब 9 साल कि उम्र में उसे फ़ोन लिया गया तो उसने रोंगटे खड़े कर देने वाला कदम उठा लिया।
शुरू हुआ इलाज
चौथी कक्षा में पढ़ने वाले मासूम को दिल्ली के अस्पताल के जनरल सर्जन ने इलाज शुरू किया तो समस्या को देखते हुए बच्चे को सर गंगा राम अस्पताल में भेजा गया।
मनोचिकित्सक डॉ. मेहता ने बताया, 'छोटी उम्र में मोबाइल पर निर्भरता का यह नया मामला है'
डाॅक्टर ने कहा कि माता-पिता ने अपने बच्चे को समय बचाने के लिए मोबाइल फोन दे दिया। बच्चे के पिता बिजनेसमैन और मां लेक्चरर। दोनों के कामकाजी होने के चलते बच्चे को वे बहुत कम समय दे पाते हैं। बच्चे को मोबाइल कि इतनी आदत हो गयी थी कि वह खाना भी तभी खाता था जब उसके पास मोबाइल होता था। वह यूट्यूब पर वीडियो या गेम खेलते हुए ही खाना खाता था।'
काउंसलिंग के दौरान पहले तो बच्चा बात करने से इंकार करता रहा लेकिन बाद में धीरे-धीरे उसने अपने रिश्तों और मोबाइल के बारे में बताया। उसने कहा कि वह बाहर खेलने के के मुकाबले मोबाइल को पसंद करता है।
इस मामले पर जब माता-पिता से अलग-अलग बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी भी अपने बेटे को बाहर जाकर खेलने के लिए दबाव नहीं डाला। उन्हें एक साल पहले महसूस हुआ कि कुछ गलत है। उन्हें लगा कि जब बच्चे को मोबाइल से उसे दूर किया जाता है तो गुस्से, तनाव जैसे लक्षण दिखते हैं। उसे लगातार सिरदर्द की शिकायत भी होती थी जो कि आंखों की रोशनी के कारण थी। उसे चश्मा लग गया। उसकी आंखों पर आगे और गलत असर न पड़े उसके लिए उसे मोबाइल और लैपटाॅप, टीवी न देखने की सलाह दी गई।
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मोबाइल न देने पर सिर पटकना
उस बच्चे कि मोबाइल पर निर्भरता इतनी बड़ गयी थी कि मोबाइल लेने पर वे सिर पटकता और चिड़चिड़ा हो जाता था। अपने गुस्से को आखिरकार वह काबू नहीं रख पाया और उसने अपना हाथ काट लिया।
मोबाइल कि निर्भरता देखते हुए फ़िलहाल बच्चे को एंटी डेप्रेसेंट्स पर रखा हुआ है। उसे दूसरे बच्चों से मिलवाया जा रहा है और आउटडोर गेम्स खलेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
डॉ मेहता ने बताया कि बच्चे की पॉजिटिव पेरेंटिंग की जनि चाहिए और उनके साथ क्वालिटी टाइम बिताना चाहिए। बच्चों को गैजेट्स से दूर रखना चाहिए। कम से कम 13 वर्ष की उम्र तक बच्चों को मोबाइल से दूर रखना चाहिए। इसके अलावा माता-पिता को एक वक्त का खाना अपने बच्चों के साथ करना चाहिए।
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