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Atiq Ahmed Murder Case: हत्याकांड से जुड़ी ये 5 बातें कभी आएंगी बाहर?

Unanswered questions related Atiq Ahmed Murder Case : माफिया डॉन से सफेदपोश नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद का खेल उन्हीं के अंदाज में खत्म हो गया है. गोलियों की गड़गड़ाहट जो उनका दबदबा कभी बढ़ाने का काम करती थी, उन्हीं गड़गड़ाहट के बीच महज 12 सेकंड में सबकुछ खत्म हो गया. तीन हत्यारे बेखौफ अंदाज में आए और गोलियां...

Updated on: 16 Apr 2023, 05:52 PM

highlights

  • अतीक-अशरफ की प्रयागराज में हत्या
  • 48 घंटों से प्रयागराज में रुके थे हत्यारे
  • पत्रकार के रूप में अतीक-अशरफ के पास गए थे हत्यारे

नई दिल्ली:

Unanswered questions related Atiq Ahmed Murder Case : माफिया डॉन से सफेदपोश नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद का खेल उन्हीं के अंदाज में खत्म हो गया है. गोलियों की गड़गड़ाहट जो उनका दबदबा कभी बढ़ाने का काम करती थी, उन्हीं गड़गड़ाहट के बीच महज 12 सेकंड में सबकुछ खत्म हो गया. तीन हत्यारे बेखौफ अंदाज में आए और गोलियां बरसाते हुए दोनों भाईयों की जान ले ली. कभी जो अतीक अहमद हजारों लोगों के बीच घिरा रहता था, वो अतीक अहमद अस्पताल के बाहर कुछ मिनटों तक तड़पता रहा और फिर उसने दम तोड़ दिया. किसी की इतनी भी हिम्मत नहीं हुई कि उसे जिंदा रहते उठाकर अस्पताल पहुंचा पाता. ऐसे में कई सवाल उठते हैं कि क्या अतीक अहमद और अशरफ अहमद के दोहरे हत्याकांड से जुड़े कुछ सवालों के जवाब मिलेंगे भी या नहीं.

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  1. अतीक अहमद और अशरफ अहमद कोई छोटे-मोटे गुंडे नहीं थे, जो उन्हें राह चलते कोई भी मार जाए. खासकर तब, जब उन्हें बाहर की जेलों से प्रयागराज लाया गया हो. ऐसे में इनकी हत्या के पीछे असली मोटिव क्या है, इसका जवाब अभी पुलिस को तलाशना है. 
  2. अतीक अहमद और अशरफ अहमद का मेडिकल 10 बजे तक में कराने का क्या तुक बनता है? खासकर तब, जब पुलिस को ये पता था कि अतीक और अशरफ को छुड़ाने के लिए झांसी में ही पुलिस पर हमले की प्लानिंग बन चुकी थी. जो विफल हो गई थी. ऐसे में रात 10 बजे उसे अस्पताल ले जाने का क्या मतलब था?
  3. मेडिकल टीम को पुलिस थाने भी बुलाया जा सकता था. दुदांत मामलों या संवेदनशील मामलों में जांच के लिए टीम थानों, जेल में पहुंचती रही है. खास कर उसी दिन उन दोनों को रात के समय कम सुरक्षा में अस्पताल क्यों ले जाया गया? अगर रात में उन्हें लेकर जाया भी गया, तो बगैर पूरी तरह से सुरक्षा जांच के कैसे उन्हें सबके सामने उतार दिया गया?
  4. पत्रकारों की जांच कम से कम आईडी कार्ड देखकर की जा सकती थी. हमलावरों के बारे में पता चला है कि वो 48 घंटों से ही प्रयागराज में रुके थे. यानि उन्हें पता था कि अतीक और अशरफ को अस्पताल ले जाया जाएगा. जबकि अस्पताल प्रबंधन ने कहा है कि उन्हें महज 10 मिनट पहले अतीक-अशरफ का मेडिकल कराने की रिक्वेस्ट मिली थी. वहीं, हत्यारे पत्रकारों के वेश में उनके बीच काफी देर से मौजूद थे.
  5. तीन जिलों के तीन अपराधी कैसे इतनी बड़ी घटना को अंजाम देकर बच गए. यूपी पुलिस की एलआईयू क्या कर रही थी? खासकर तब, जब प्रयागराज में असद अहमद को दफनाने के बाद से अलर्ट जारी था. इतने सारे हथियार प्रयागराज में घूम रहे थे और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी थी. सवाल तो कई सारे हैं, लेकिन कितने सवालों के जवाब मिल सकेंगे, ये देखने वाली बात होगी.