आरुषि हत्याकांड: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव मे तलवार दंपति को किया बरी, जानिए कब क्या हुआ
आरुषि हत्याकांड मामले में तलवार दंपत्ति की अपील पर इलाहाबाद हाईकोर्ट गुरुवार को फैसला सुनाने जा रहा है। तलवार दंपत्ति ने सीबीआई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अपील की थी।
New Delhi:
चर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राजेश और नुपुर तलवार को बड़ी राहत दी। मामले की जांच में खामियां बताते हुए कोर्ट ने तलवार दंपती को बरी कर दिया। सबूतों के अभाव में तलवार दंपती को बरी किया गया है।
बता दें कि इससे पहले सीबीआई कोर्ट ने तलवार दंपति को आरुषि और हेमराज के मर्डर के मामले में दोषी ठहराया था। इसके बाद तलवार दंपति ने हाई कोर्ट में अपील की थी और सीबीआई जांच पर सवाल उठाए थे।
बता दें कि तलवार दंपत्ति को उनकी बेटी आरुषि की हत्या के मामले में सीबीआई कोर्ट ने दोषी ठहराया है। दरअसल नोएडा के जलवायु विहार स्थित फ्लैट में मई, 2008 में 14 साल की आरुषि का गला कटा हुआ शव मिला था। तलवार दंपत्ति इस समय गाजियाबाद की डासना जेल में सजा काट रहे हैं।
और पढ़ें: आरुषि हत्याकांड में तलवार दंपत्ति की अपील पर इलाहाबाद हाई कोर्ट आज सुनाएगा फैसला
जानिए कब क्या हुआ...
2008:
16 मई: 14 साल की आरुषि तलवार की नोएडा में जलवायु विहार स्थित अपने घर के बेडरूम में लाश मिली। आरुषि का गला कटा हुआ था। इसमें सबसे पहले पुलिस को शक नौकर हेमराज पर हुआ।
17 मई: नौकर हेमराज की लाश तलवार के घर के छत पर मिली।
23 मई: आरुषि के पिता डॉ राजेश तलवार को यूपी पुलिस ने आरुषि और हेमराज के कत्ल के आरोप में हिरासत में लिया।
1 जून: उलझती गुत्थियों को लेकर आरुषि हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपी गई।
13 जून: डॉ राजेश तलवार के कंपाउंडर कृष्णा को सीबीआई ने गिरफ्तार किया, इसके बाद तलवार के दोस्त के नौकर राजकुमार और तलवार के पड़ोसी ने नौकर विजय मंडल को भी गिरफ्तार किया गया। इन तीनों को आरोपी बनाया गया।
12 जुलाई: राजेश तलवार को गाजियाबाद के डासना जेल से जमानत पर रिहा।
सितंबर 12: तीनों आरोपियों को कोर्ट से जमानत पर रिहा किया गया। इस मामले में सीबीआई 90 दिन तक चार्जशीट फाइल नहीं कर सकी थी।
2009:
सितंबर में 10 तारीख को आरुषि हत्याकांड की जांच के लिए सीबीआई की दूसरी टीम बनाई गई।
2010:
दिसंबर में 29 तारीख को सीबीआई ने आरुषि हत्याकांड में अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की।
2011:
जनवरी में राजेश तलवार ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ लोअर कोर्ट में प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल की।
फरवरी : लोअर कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज की, आरुषि के मां-बाप, राजेश और नुपुर तलवार को हत्या और सुबूत मिटाने के मामले में दोषी माना। इसके बाद 21 तारीख को तलवार दंपत्ति ट्राइल कोर्ट के समन को रद्द करवाने हाई कोर्ट गए।
मार्च: 18 और 19 मार्च को हाई कोर्ट ने समन रद्द करने की अपील को खारिज किया और कार्यवाही शुरू करने को कहा, इसके बाद दंपत्ति ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। यहां से उन्हें स्टे मिल गया।
2012:
6 जनवरी: सुप्रीम कोर्ट ने ट्राइल शुरू करने की इजाजत दी।
11 जून: गाजियाबाद में विशेष सीबीआई कोर्ट में ट्राइल शुरू हुआ।
2013: 25 नवंबर को तलवार दंपत्ति को गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट ने दोषी पाकर उम्र कैद की सजा सुनाई।
2014: तलवार दंपत्ति लोअर कोर्ट के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील की।
2017:
11 जनवरी: हाई कोर्ट ने तलवार दंपत्ति की अपील पर फैसला सुरक्षित किया।
01 अगस्त: हाई कोर्ट ने कहा कि दंपत्ति की अपील पर फिर से सुनवाई करेंगे, क्योंकि सीबीआई के दावों में विरोधभास है।
08 सितंबर: हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित किया।
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