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भारतीय महिला क्रिकेट इस विश्वकप के बाद बैकफुट नहीं फ्रंटफुट पर है

भारत की महिला क्रिकेट टीम जो कभी भी पुरुषों के क्रिकेट की तरह फ्रंटफुट पर नहीं रही आज पूरी दुनिया में उनकी चर्चा हो रही है।

Updated on: 24 Jul 2017, 02:46 PM

नई दिल्ली:

भारत की महिला क्रिकेट टीम जो कभी भी पुरुषों के क्रिकेट की तरह फ्रंटफुट पर नहीं रही, आज पूरी दुनिया में उनकी चर्चा हो रही है। इससे पहले कभी संसाधनों की कमी तो कभी क्रिकेट बोर्ड के दोहरे रवैये की वजह से देश की बेटियां हमेशा बैकफुट पर खेलने को मजबूर रहती थी।

किसी पुरुष क्रिकेटर का अपनी बेटी के साथ सोशल मीडिया पर तस्वीर शेयर करना या अपनी गर्लफ्रेंड के साथ कहीं छुट्टी मनाते देखा जाना बड़ी खबर बनती रही है लेकिन महिला क्रिकेटर्स से जुड़ी खबरे तो दूर देश को अपनी इन बेटियों का नाम तक नहीं पता। इसके कई सारी वजह हो सकती है जिसमें सबसे बड़ा कारन महिला क्रिकेट के प्रति मीडिया कवरेज का उदासीन रवैया भी है।

इस बार भी विश्वकप को लेकर ऐसा ही हुआ, लेकिन जैसे ही स्मृति मंधाना ने विश्व कप के पहले मैच में इंग्लैंड के खिलाफ 90 और उसके बाद दूसरे मैच में वेस्टइंडीज के खिलाफ नाबाद 106 रनों की पारी खेली तो हर भारतीय के स्मृति में उनका नाम दर्ज हो गया। स्मृति की यह पारी महिला क्रिकेट टीम के लिए उस अंधेरे कोठरी में दीपक के समान रौशनी करने वाली थी।

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इसके बाद तीसरे मैच में भारत ने पाकिस्तान को 95 रन से हराया तो लोगों का ध्यान एक और खिलाड़ी पर गया। एकता विष्ट के नाम की चर्चा हर जगह होने लगी। इस मैच में एकता ने शानदार गेंदबाज़ी करते हुए 5 विकेट झटके और टीम को जीत दिलाई।

कप्तान मिताली राज ने इस विश्वकप में अपने 6000 रन पूरे करने के साथ लगातार 7 मैच में 50 से ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड भी बनाया। लोगों को पता चला कि मिताली राज महिला क्रिकेट में वही दर्जा रखती है जो मेन्स क्रिकेट में सचिन तेंडुलकर की है।

इसके बाद सेमीफाइनल में हरमनप्रीत कौर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 171 की तूफानी पारी खेली तो लोगों ने देश की इस बेटी को सलाम किया। इस विश्वकप में हरमनप्रीत ने आठ मैचों में एक शतक और एक अर्धशतक सहित 308 रन बनाए हैं।

उनका प्रदर्शन ही है कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें पंजाब पुलिस में डीएसपी की नौकरी का ऑफर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कौर को पांच लाख रुपये नकद पुरस्कार की भी घोषणा की। इससे 6 साल पहले हरमनप्रीत को सरकार की तरफ से पुलिस की नौकरी देने से मना कर दिया गया था। आज उसी हरमनप्रीत कौर को दुनिया जानती है और सम्मान देती है।

पूरी भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने अपने प्रदर्शन के दम पर न सिर्फ लोगों के दिल में बल्कि उनके दिमाग में भी जगह बनाई। महिला विश्वकप ने भारतीय महिला क्रिकेट को नई पहचान दी है।

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इस बार विश्वकप में जब महिला क्रिकेटरों को  22 गज का मंच मिला तो उन्होंने साबित किया की प्रतिभा लगन और मेहनत जिसको वर्षों से नजरअंदाज किया गया है उस पर अगर ध्यान दिया जाए तो मालूम चलेगा की बेटियां विश्व भर में नाम कमा सकती हैं।

हाल ही में बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक टीम इंडिया को फाइनल में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाली हरमनप्रीत कौर और टीम इंडिया की कप्तान मिताली राज को लेकर विज्ञापन के बाजार में काफी दिलचस्पी पैदा हो गई है और तमाम कॉरपोरेट कंपनियों की ओर से इन खिलाड़ियों को मैनेज करने वाली एजेंसी के साथ बातचीत शुरू हो गई है।

फाइनल मुकाबले में भारत इंग्लैंड से हार जरूर गई लेकिन जिस तरीके से अपने प्रदर्शन के दम पर इस विश्व कप में उन्होंने पहचान और सम्मान कमाया है उसे हार नहीं जीत ही समझा जाएगा।

यकीन मानिए इस विश्व कप के बाद महिला क्रिकेट सुबह के सूरज की तरह बादलों को चीरते हुए निकला है और पूरी दुनिया से कह रहा है सुनो हम अपनी एक अलग पहचान रखते हैं पुरुषों से अलग।

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