Ind Vs SA: नए साल में न वह आत्मविश्वास दिखा, न वो जीतने का जज्बा, हार की ये है बड़ी वजह
साल 2017 में जिस टीम ने क्रिकेट जगत की बड़ी से बड़ी टीम को धूल चटाया जब 2018 में वही टीम क्रिकेट मैदान पर उतरी न वह आत्मविश्वास दिखा, न वो जीतने का जज्बा।
नई दिल्ली:
साल 2017 में जिस टीम ने क्रिकेट जगत की बड़ी से बड़ी टीम को धूल चटाया जब 2018 में वही टीम क्रिकेट मैदान पर उतरी तो न वह आत्मविश्वास दिखा, न वो जीतने का जज्बा।
इसी टीम इंडिया ने, इन्हीं खिलाड़ियों के दम पर साल 2017 में क्रिकेट के अलग-अलग प्रारूपों में 13 सीरीज जीती थी। इंग्लैंड के खिलाफ 2-1 से जीत के साथ जो सिलसिला कोहली की सेना ने शुरू किया वह 2017 के अंत में श्रीलंका पर 2-1 से जीत के साथ खत्म हुआ।
भारतीय टीम ने वर्ष 2017 में क्रिकेट के तीनों प्रारुपों में कुल 53 मैच खेले जिनमें से 37 में उसने जीत दर्ज की जो किसी एक कैलेंडर वर्ष में उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
भारत ने 2017 में 11 टेस्ट मैच खेले जिनमें से उसे सात में जीत और एक में हार मिली जबकि तीन मैच ड्रॉ रहे। वहीं वनडे में 29 मैच में 21 में उसे जीत मिली जबकि भारत ने खेल के सबसे छोटे प्रारुप टी20 में 13 मुकाबलों में से नौ में जीत दर्ज की।
साल 2018 पहली ही सीरीज में हार
नए साल में नए जोश के साथ टीम इंडिया अपनी पहली सीरीज खेलने साउथ अफ्रीका पहुंची तो लाखों क्रिकेट फैन्स को उम्मीद थी कि बार-बार विदेशी धरती पर खराब प्रदर्शन का जो ठप्पा टीम इंडिया पर लगता रहा है वह ठप्पा विराट की यह टीम हटा देगी, मगर ऐसा न हुआ।
केपटाउन में पहला टेस्ट 72 रन से और सेंचुरियन में दूसरा टेस्ट 135 रन से हारकर भारत ने सीरीज गंवा दी। साउथ अफ्रीका के तेज गेंदबाजों के आगे भारतीय बल्लेबाज बेबस नजर आए।
आइए जानते है सीरीज हार की बड़ी वजह
फेल रहे सलामी बल्लेबाज़
दोनों टेस्ट मैचों में भारत के सलामी बल्लेबाज टीम को अच्छी शुरुआत नहीं दे पाए। फ्लॉप शो के बाद दूसरे टेस्ट में शिखर धवन को बाहर कर दिया गया। उनकी जगह पर लाए गए लोकेश राहुल पहली पारी में 10 और दूसरी पारी में 4 रन ही बना सके।
चयन प्रक्रिया गलत
रहाणे का प्रदर्शन विदेशी पिचों पर शानदार रहा है। ऐसे में उनको टीम से लगातार बाहर रखना टीम सलेक्शन पर भी सवाल खड़ा करता है।अजिंक्य रहाणे का दक्षिण अफ्रीकी धरती पर 69.66, ऑस्ट्रेलिया में 57.00, वेस्टइंडीज में 121.50 और न्यूजीलैंड की पिचों पर 54.00 का औसत रहा है।
दूसरा फैसला जिसने सबको चौंकाया वह था भुवनेश्वर कुमार की जगह दूसरे टेस्ट में इशांत को जगह देना। भुवनेश्वर ने पहले टेस्ट में सबसे ज्यादा विकेट लिए थे उनको दूसरे टेस्ट में बाहर कर इशांत को शामिल किया जाना चौंकाने वाला फैसला था। यह दोनों ही फैसेल निश्चित तौर पर दर्शाता है कि टीम चयन में कमी रही।
अभ्यास मैच न खेलना
अंग्रेजी में कहावत है 'प्रेक्टिस मेक्स ए मैन पर्फेक्ट' मगर टीम इंडिया ने अभ्यास नहीं किया। भारत को साउथ अफ्रीका में अभ्यास मैच खेलना था मगर उसे कैंसिल कर दिया गया। इसका नतीजा रहा कि टीम के कई बल्लेबाज़ अफ्रीका की उछाल भरी पिच पर टिक नहीं पाए।
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एक खिलाड़ी पर टीम की निर्भरता
क्रिकेट में सबसे बेहतरीन टीम वही मानी जाती है जिस टीम में हर खिलाड़ी जीत में अपना योगदान दे। पिछले कई सालों से टीम इंडिया ने एक खिलाड़ी पर अपनी निर्भरता खत्म कर दी है, लेकिन विदेशी धरती पर एक बार फिर टीम इंडिया ने साबित कर दिया है कि पूरी टीम एक खिलाड़ी के प्रदर्शन पर टिकी है। विराट कोहली की 153 रन की पारी को छोड़ दिया जाए तो कोई भी बल्लेबाज संघर्ष करता हुआ भी नहीं दिखा।
भारत और श्रीलंका सीरीज़
जब क्रिकेट बोर्ड को मालूम था कि साल 2018 का पहला सीरीज साउथ अफ्रीका जैसी मजबूत टीम से है और मेजबान भी अफ्रीका है तो भारत को उससे पहले श्रीलंका जो इस वक्त अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है, उसके साथ सीरीज करवाने का क्या मतलब था। भारत के लिए विदेशी जमीन पर खेलना ज्यादा फायदेमंद रहता।
पिछले कुछ समय से भारतीय टीम टेस्ट क्रिकेट की सबसे सफल टीम रही है। यही वजह थी कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारतीय टीम से क्रिकेट फैंस जीत की उम्मीद कर रहे थे। ऐसा माना जा रहा था कि विराट कोहली की कप्तानी में इस बार भारतीय टीम एक और इतिहास रचने में कामयाब होगी।
जीत का श्रेय कप्तान कोहली को लगातार मिलता रहा है ऐसे में इस हार के लिए भी उन्हे जिम्मेदार ठहराया जाएगा। 25 साल से साउथ अफ्रीका में टेस्ट सीरीज नहीं जीत पाई टीम इंडिया का इंतजार एक बार फिर लंबा हो गया है।
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