logo-image

गुजरात के निर्भय ठक्कर बने सबसे कम उम्र के स्नातक धारी

जिस उम्र में बच्चे 10वीं की परिक्षा देने की तैयारी करते हैं उसी उम्र में 15 वर्षीय निर्भय ठक्कर ने गुजरात टेक्नोलोजिकल यूनिवर्सिटी (जीटीयू) से अपनी बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई इलेक्ट्रिकल) का कोर्स पूरा कर लिया।

Updated on: 09 Aug 2017, 12:07 PM

नई दिल्ली:

जिस उम्र में बच्चे 10वीं की परिक्षा देने की तैयारी करते हैं उसी उम्र में 15 वर्षीय निर्भय ठक्कर ने गुजरात टेक्नोलोजिकल यूनिवर्सिटी (जीटीयू) से अपनी बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई इलेक्ट्रिकल) का कोर्स पूरा कर लिया।

निर्भय की त्वरित शिक्षा कक्षा 8वीं से शुरू हुई जब उन्होने जामनगर के राज्य बोर्ड के छात्र के रूप में कक्षा 7वीं परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी। निर्भय के पिता जामनगर के एक प्राइवेट फर्म में इंजीनियर के रूप में काम करते थे।

निर्भय ने 6 महीने में कक्षा 8वीं से कक्षा 10वीं और अगले 3 महीनों में 11वीं और 12वीं उत्तीर्ण की जो International General Certificate of Secondary Education (IGCSE) के अंतर्गत आती है जिसे माध्यमिक शिक्षा (आईजीसीएसई) प्रणाली के द्वारा चलाया जा रहा है। निर्भय को अब एसएएल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में भर्ती कराया गया है।

यह भी पढ़ें: प्रकाश जावड़ेकर का दावा, अगले 5 सालों में 100 फीसदी साक्षर होगा भारत

निर्भय अपनी इस उपलब्धि का सारा श्रेय अपने पिता को देता है। उसके पिता ने 36 वर्ष की उम्र में अपनी नौकरी छोड़ दी थी ताकि वह अपने बच्चों पर ध्यान दे सकें। निर्भय के पिता कहते हैं कोई भी बच्चा कमजोर या बेवकूफ नहीं होता है। सभी कुछ निर्भर करता है कि कैसे किसी बच्चे को ट्रीट करते है।

निर्भय के पिता कहते हैं कि जब पारंपरिक परीक्षाएं केवल विद्यार्थियों की स्मृति परीक्षण पर ध्यान केंद्रित करती हैं, हमने एक विधि तैयार की जिसे निर्भय सही मायने में अंक से निडर हो गया और सीखने के बजाय वह अपना ध्यान न केवल पढ़ाई कर बल्कि अवधारणाओं के अनुप्रयोगों को सुनना, कल्पना करने और खोजने में ध्यान केंद्रित करने लगा। इससे वह कम समय में बहुत कुछ सीखने लग गया।

अपनी स्नातक परियोजना के रूप में, निर्भय मैग्लेव (चुंबकीय उत्तोलन) तकनीक पर आधारित पवनचक्की विकसित कर रहा है जो कि कम हवा के वेग में भी कार्यात्मक तरीके से काम कर सकता है। भविष्य में, वह अगली पीढ़ी के अत्याधुनिक हथियार विकसित करने के लिए रक्षा क्षेत्र के साथ काम करना चाहते है।

इसे भी पढ़ें: बिहार: शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला, 50 के बाद नही पढ़ा सकेंगे शिक्षक