बंद दरवाज़ों की हक़ीक़त को बेबाकी से सामने लाने वाले 'मंटो' की ऐसी कहानियां जिनपर चला अश्लीलता का मुकदमा
अपनी सोच और कलम से समाज के बंद दरवाज़ों के पीछे होती बातों को दुनिया के सामने बेबाकी से रखने वाले अफसानानिगार सआदत हसन मंटो की कहानी जल्द बड़े पर्दे पर दस्तक देने को तैयार है।
नई दिल्ली:
अपनी सोच और कलम से समाज के बंद दरवाज़ों के पीछे होती बातों को दुनिया के सामने बेबाकी से रखने वाले अफसानानिगार सआदत हसन मंटो की कहानी जल्द बड़े पर्दे पर दस्तक देने को तैयार है। मंटो के बेबाक फलसफे के बगैर उर्दू अदब की तारीख मुकम्मल नहीं होती। क्रांतिकारी कलमकार के तौर पर सबसे ज्यादा नाम कमाने वाले मंटो एक उम्दा साहित्यकार थे। साहित्य की दुनिया में आज भी मंटो जीवित है, सआदत हसन मंटो उस दुनिया से कभी रुख़सत ही नहीं हुए।
मंटो ने क्या लिखा और कितना लिखा इससे जानने से ज्यादा जरूरी ये है कि उन्होंने हमारे समाज की हकीकत है और आइना दिखाने का काम करता है। अगर मंटो की कहानियां अश्लील है , तो सही मायने में वो समाज अश्लील है, क्योंकि मंटो बंद दरवाजों के पीछे की हकीकत को बेबाकी से अपनी कलम से उतारते थे।
मशहूर शायर मुनव्वर राणा मंटो की कहानियों के किरदारों को आम आदमी की जिंदगी से जुड़ा पाते हैं। मंटो ने अपने किरदारों में आम आदमी को जिया उस जमाने का आइना थे मंटो के किरदार।
मंटो की कहानियों को लेकर विवाद हुआ, लोगों ने उनपर अश्लीलता का ठप्पा लगाया, लेकिन मंटो कभी भी आलोचकों से डरे नहीं। इस बात का उन्होंने बड़ी ही बेबाकी से जवाब दिया था कि, 'अगर आपको मेरी कहानियां अश्लील या गंदी लग रही हैं तो जिस समाज में आप रह रहे हैं वो अश्लील और गंदा है। मेरी कहानियां समाज का सच दिखाती हैं।'
और पढ़ें: मंटो! 'सभ्य-समाज' में छिपी घिनौनी सच्चाई को बयां करने वाला लेखक
मंटो ने जहां अपनी कहानियों में शहरी पृष्ठभूमि में किरदारों और उनकी बेचैनियों को अलग तरीके से पेश करने की हिम्मत दिखाई। उनकी हर कहानी पाठकों के दिमाग पर छाप छोड़ जाती है। मंटो ने समाज की हकीकत दिखाई लेकिन उन पर अश्लीलता के आरोप भी लगे। हिंदुस्तान में 1947 से पहले उन्हें अपनी कहानी 'धुआं', 'बू' और 'काली सलवार' के लिये मुकदमे का सामना करना पड़ा तो वहीं विभाजन के बाद पाकिस्तान में 'खोल दो', 'ठंडा गोश्त' और 'उपर-नीचे-दरमियान' के लिये मुकदमे झेलने पड़े। जानिए मंटो की ऐसी कहानियां जिनपर मुक़दमे चले।
मंटों पर चले पांच मुकदमें है जो काफी चर्चित है। उन पर तीन मुकदमें अविभाजित भारत की अदालत में, तीन पाकिस्तान की अदालतों में। 'काली सलवार' , 'धुआं', ' बू', 'ठंडा' गोश्त', 'ऊपर, नीचे और दरमियान'। पहले तीन अभियोजन विभाजन के पहले सयुक्त भारत में और शेष दो पाकिस्तान में चले। 'काली सलवार' कहानी पर केस दर्ज हुआ तब वह राजधानी दिल्ली में थे। बाद में 'धुआं' और 'बू' कहानियों पर दायर हुए मामलों में मुंबई से लाहौर की लंबीयात्रा करनी पड़ी थी । 'खोल दो' , 'ठंडा गोश्त', 'ऊपर नीचे दरमियां' पर पाकितान में मुकदमा चला।
और पढ़ें- साहित्य के कैनवास पर भूख से विवश होरी और बुज़ुर्गों के लिए फ़िक्रमंद हामिद की तस्वीर बनाते प्रेमचंद
मंटो की शख्सियत बड़ी ही दिलचस्प थी। मंटो आठवीं क्लास में उर्दू में फेल हो गए थे। मंटो समाज की हकीकत को सामने रखने के लिए वह तल्ख़ शब्दों का इस्तेमाल करते थे। सियासत और समाज के अलंबरदारों की नींद उड़ाने वाले मंटो का नाम उर्दू अदब की दुनिया को हमेशा रोशन करता रहेगा।
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती पर गलती से भी न करें ये काम, बजरंगबली हो जाएंगे नाराज
-
Vastu Tips For Office Desk: ऑफिस डेस्क पर शीशा रखना शुभ या अशुभ, जानें यहां
-
Aaj Ka Panchang 20 April 2024: क्या है 20 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह