सीबीएफसी अध्यक्ष पद से हटने का खेद नहीं, 'संस्कारी' सेंसर प्रमुख का तमगा मिलने पर गर्व है: निहलानी
फ़िल्मकार और सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी को उनके पद से छुट्टी कर दी है। दरअसल, शुक्रवार को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के पद से पहलाज को बर्खास्त कर दिया गया है।
highlights
- फिल्म 'लिपस्टिक अंदर माय बुर्का' को लेकर पहलाज निहलानी सबसे ज्यादा चर्चा में आए थे
- हरामखोर, लिपस्टिक अंडर माई बुर्का, उड़ता पंजाब को भी सेंसर की कैंची का सामना करना पड़ा था
- लेखक-गीतकार और विज्ञापन गुरु प्रसून जोशी को निहलान की जगह सेंसर बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है
नई दिल्ली:
फ़िल्मकार और सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी को उनके पद से छुट्टी कर दी है। दरअसल, शुक्रवार को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ('सेंसर बोर्ड') के पद से पहलाज को बर्खास्त कर दिया गया है।
फिल्मों में कट लगाने, डिस्क्लैमर करने या बीप लगाने का सुझाव व निर्देश देकर विवादों में बने रहने वाले निहलानी ने अपनी बर्खास्तगी की खबर वायरल होने के कुछ घंटे बाद ही बहुत सहजता से मीडिया से बात की। निहलानी ने कहा, 'मैं कई महीनों से निकलने की तैयारी कर रहा था। वास्तव में मैं जब से यहां आया था, तब से कुछ लोग मेरे खिलाफ काम कर रहे थे, उनमें से कुछ 'सेंसर बोर्ड' के अंदर के ही हैं। मैं इन लोगों के नाम 'ऑन रिकॉर्ड' नहीं लेना चाहता, ये फिलहाल अब समय से पहले दिवाली मना रहे हैं।'
उनका कहना है कि उन्हें इस बात का कोई खेद नहीं है कि पद छोड़ने के लिए कहा गया और साथ ही उन्हें 'संस्कारी' सेंसर प्रमुख का तमगा मिलने पर गर्व है।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें उनके पद से हटाए जाने पर कोई अफसोस है? तो उन्होंने कहा,'बिल्कुल नहीं। विश्वास कीजिए, मैं अचानक से 'सेंसर बोर्ड' के अध्यक्ष के रूप में लाया गया। मैंने खुशी के साथ उस काम को स्वीकार किया, जिसके लिए सरकार ने मुझे उपयुक्त समझा। अब जब सरकार ने मुझे हटने के लिए कहा है, तो मैं बिना किसी अफसोस के ऐसा कर रहा हूं।'
फिल्मकार निहलानी ने कहा कि जब वह सीबीएफसी में आए थे तो उस समय बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार था। उन्होंने बिचौलियों और दलालों से इसे मुक्त कराया, जिन्होंने सेंसर प्रमाणन प्रक्रिया में पैसे कमाए। उन्होंने कहा कि उन लोगों को भी इस साल समय पूर्व ही दिवाली मनाने का मौका मिल गया है।
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मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक साल बाद 2015 में निहलानी 'सेंसर बोर्ड' के अध्यक्ष बने थे। उनकी जगह अब लेखक-गीतकार और विज्ञापन गुरु प्रसून जोशी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है।
जोशी के 'सेंसर बोर्ड' पद के अध्यक्ष बनाये जाने पर टिप्पणी करने से बचते हुए निहलानी ने कहा, ' जो व्यक्ति भी उनसे यह जिम्मेदारी, प्रभार लेता , उसका स्वागत है। इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि वह उनके द्वारा शुरू किये गए काम में कोई उलट- फेर नहीं करेंगे।'
निहलानी के के मुताबिक , उन्होंने प्रमाणन प्रक्रिया को तेज किया है और इसे पूरी तरह से डिजिटल बनाया है। उन्होंने ईमानदारी से अपना काम किया है। इसलिए उन्हें 'संस्कारी' सेंसर प्रमुख का तमगा मिलने पर गर्व है।
निहलानी ने अपने बयान में यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद कि उन्हें अश्लीलता और छद्म उदारवाद के खिलाफ खड़े होने के लिए याद किया जाएगा।
'सेंसर बोर्ड' पद से हटाए जाने के बाद निहलानी अपने पहले प्यार फिल्म निर्माण के ओर लौटेंगे और जल्द अपनी कई फिल्मों की घोषणा भी करेंगे।
उन्होंने 'पाप की दुनिया', 'आग का गोला', 'शोला और शबनम', 'आंखें' और 'तलाश : द हंट बिगिन्स' जैसी फिल्मों का निर्माण किया है।
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आपको बता दे कि पहलाज निहलानी इस साल सबसे ज्यादा चर्चा में 'लिपस्टिक अंदर माय बुर्का' फिल्म द्वारा आये थे इस फिल्म को निहलानी 'असंस्कारी' घोषित कर डिब्बा बंद कर दिया था। हालांकि इस फिल्म के निर्देशक ने इस मामले को कोर्ट में ले जाकर इस फिल्म को 'सेंसर मुक्त' करवा लिया था।
बदलापुर (फरवरी 2015),एनएच 10 (मार्च 2015),उड़ता पंजाब (जून, 2016),हरामखोर (जनवरी, 2017), लिपस्टिक अंडर माई बुर्का (जुलाई, 2017), ये फ़िल्में हैं जिन्हें सेंसर बोर्ड की कैंची का सामना करना पड़ा था।
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